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प्रकरण ७ : समाज और संस्कृति [४२५ कहते थे।' हाथी और घोड़े युद्ध में प्रमुख सहायक होते थे। इनमें हाथी सबसे आगे रहता था।२ शत्र के प्रहारों को रोकने के लिए घोड़ों को कवच पहनाए जाते थे। विजेता प्रधान सैनिक सबके द्वारा प्रशंसित होता था। राज्य की दढ़ता और अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए राजा के कुछ कर्तव्यों का उल्लेख इन्द्र-नमिसंवाद में मिलता है। जैसे :
१. राज्य में प्रजा को किसी प्रकार का दुःख न हो। अतः नीतिमान शासक को प्रजा पर अनुकम्पा करनेवाला होना चाहिए। इसीलिए इन्द्र राजा नमि की दीक्षा के समय पूछता है कि आज मिथिला में इतना कोलाहल क्यों व्याप्त है तथा महलों आदि में दारुण शब्द क्यों सुनाई पड़ रहे हैं ? ५ चित्त मुनि भी ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती को सब प्रजा पर अनुकम्पा करने तथा धर्मस्थ होकर आर्यकर्म करने का उपदेश देते हैं।
२. अन्तःपुर, मन्दिर आदि को जलते हुए देखकर उनकी सुरक्षा करे। अतः इन्द्र दूसरा प्रश्न एतद्विषयक ही पूछता है ।। १. चउरंगिणीए सेणाए रइयाए जहक्कम ।
तुडियाणं सन्निनाएणं दिव्वेणं गगणंफुसे ।
-उ० २२.१२.
तथा देखिए-पृ. ४१६, पा० टि० ४. २. देखिए-पृ० ४१३, पा० टि० ३; उ० २१.१७. ३. आसे जहा सिक्खिय वम्मधारी।
-उ०४.८. ४. जहाइण्ण समारूढे सूरे दढपरक्कमे । . . . . उभओ नंदिघोसेणं एवं हवइ बहुस्सुए।
-उ० ११.१७ ५. किण्णु भो अज्ज"..."सुव्वंति दारुणा सद्दा ।
-उ० ६.७. ६. अज्जाई कम्माई करेहि रायं धम्मे ठिओ सव्वपयाणु कम्पी ।
-उ० १३.३२. ७. एस अग्गी य वाऊ य कीसं गं नावपेक्खह ।
-उ० ६.१२.
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