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प्रकरण ७ : समाज और संस्कृति
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राज्य-व्यवस्था : ..प्रजा पर शासन करना क्षत्रिय का काम था और जो शासक होता था वह राजा कहलाता था। सामान्यतया राजा की मृत्यु के बाद उसका पुत्र राज्य का उत्तराधिकारी होता था। अतः राजागण अपने पुत्र को राज्यभार सौंपकर दीक्षा ग्रहण किया करते थे।' जिस सम्पत्ति का कोई उत्तराधिकारी नहीं होता था उसका उत्तराधिकारी राजा होता था। अतः भगु पुरोहित के सपरिवार दीक्षा ले लेने पर इषुकार देश का राजा उस पर अपना अधिकार बतलाता है। ___ राजाओं का ऐश्वर्य-राजाओं का ऐश्वर्य देवों के तुल्य होता था। इनके प्रासादों के तलभाग में मणि-रत्नादि जड़े रहते थे।४ सिर पर छत्र-चामर ढलाए जाते थे।५ ये नृत्य, गीत, वाद्य आदि संगीत-सामग्री से युक्त नारीजनों के साथ भोग भोगा करते थे। युद्ध में कुशलता प्राप्त करने के लिए कभी-कभी ये १. पुत्तं रज्जे ठवित्ता णं।
-उ० १८.३७. तथा देखिए-उ० ९.२; १८.४७. २. पुरोहियं तं ससुयं सदारं सोच्चाऽभिनिक्खम्म पहाय भोए । कुडुंबसारं विउलुत्तमं च रायं अभिक्खं समुवाय देवी ॥
-उ० १४.३७. ३. सो देवलोगसरिसे अंते उरवरगओ वरे भोए । भुंजित्तु नमी राया बुद्धो भोगे परिच्चयई ।।
-उ०६.३. तथा देखिए-उ० ६.५१. ". ४. मणिरयणकुट्टिमतले पासायालोयणे ठिओ । आलोएइ नगरस्स चउक्कत्तिय चच्चरे ।
-उ० १६.४. ५. अह ऊसिएण छत्तेण चामराहि य सोहिओ।
-उ० २२.११. न हि गोएहिं य वाइएहिं नारीजणाई परिवारयंतो ।
-उ० १३.१४. तथा देखिए-पृ०४२३, पा० टि० ३.
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