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४१६] उत्तराध्ययन-सूत्र : एक परिशीलन (मैरेयक-दुग्ध आदि उत्तम पदार्थों से निकाली गई), ४. मधु ( महुए से बनाई गई ) और ५. वारुणी ( श्रेष्ठ मदिरा )। इनके अतिरिक्त अन्य विविध प्रकार के आसव (मद्य) भी थे ।' रसों में कुछ रसों का भी उल्लेख मिलता है जिनका अनुभव प्रायः सभी को था। जैसे : शर्करा, खाण्ड, दाख (मृद्वीका), खजूर, आम्र, तुवर, नीम, तूंबी, त्रिकटुका (मघ मिर्च), ईख, कटुरोहिणी (ज्वरनाशक औषधिविशेष), कपित्थ (कैथः) आदि । इन खाद्य और पेय पदार्थों के अतिरिक्त ग्रन्थ में कुछ कन्द-मूल आदि वनस्पतियों का भी उल्लेख मिलता है जिनको सामान्यरूप से खाने के प्रयोग में लाया जाता रहा होगा। मनोरंजन के साधन :
मनोरंजन के साधनों में उस समय नृत्य, गीत वाद्य आदि के अतिरिक्त मृगया (शिकार ), द्यूतक्रीडा ( जुआ खेलना ) और उद्यान में विहार ये भी मनोरंजन के साधन थे। जैसे :
क. मृगया-राजा आदि अपने मनोरंजनार्थ मृगया के लिए जाया करते थे। मृगया के लिए जाते समय राजा घोड़े पर सवार होता था तथा उसके साथ सैन्यदल भी जाता था। राजा संजय मृगया के लिए जाते समय चतुरंगिणी सेना को भी साथ ले गया था। ___ ख. छू तक्रीड़ा-शिकार की तरह द्यूतक्रीड़ा भी ऋग्वेदकाल से ही भारत में वर्तमान है।५ महाभारत का युद्ध द्यूतक्रीड़ा का ही परिणाम है । ग्रन्थ में अकाम-मरण को प्राप्त होनेवाले जीव
१. वही। २. देखिए-लेश्या, प्रकरण २; उ० २४.१०-१३.१५; १९.५६. ३. देखिए-वनस्पति जीव, प्रकरण १; उ० ३४.४, ११, १६; २२.४५. ४. नामेणं संजओ नाम मिगव्वं उवणिग्गए।
-उ०१८.१. तथा देखिए-उ० १८.२-६. ५. ऋग्वेद, मण्डल १०, सूत्र ३४.
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