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प्रकरण ७ : समाज और संस्कृति
खान-पान :
घी, दूध, अन्न आदि के अतिरिक्त मदिरा और मांस-भक्षण भी काफी मात्रा में होता था। अरिष्टनेमी के विवाह के अवसर पर बहुत से लोगों के भोज के लिए बहुत से पशुओं को एक बाड़े के अन्दर एकत्रित किया गया था। यहाँ पर बहुत से लोगों के लिए कहने से स्पष्ट है कि अधिकांश लोग मांसभक्षण करते थे और बहुत ही कम लोग ऐसे थे जो मांसभक्षण नहीं करते थे। मृग, मत्स्य, बकरा और महिष का मांस अधिक प्रचलित रहा होगा क्योंकि ग्रन्थ में शिकार के अवसर पर मृग-हनन, मिहमान के भोज के लिए बकरा-पालन तथा महिष को अग्नि में पकाने का उल्लेख मिलता है ।२ मत्स्य पकड़ने के लिए बड़िशों (लोहे के काँटोंवाला जाल) का प्रयोग किया जाता था। साधुओं का आहार निरा. मिष और नीरस होता था।
ग्रन्थ में मदिरा के पाँच प्रकारों का उल्लेख मिलता है : १. सुरा, २. सीधु ( ताल वृक्ष के रस से उत्पन्न ), ३. मेरक १. वाडेहिं पंजरेहिं य संनिरुद्धा य अच्छहिं ।
___ -उ० २२.१६. तथा देखिए-पृ० ४११, पा० टि० ३. .. २. हुआसणे जलंतम्मि चिआसु महिसो विव ।
-उ० १६.५८. तथा देखिए-पृ० ४१४, पा० टि० ५, ८;
उ० १६.७०-७१, ५.९; ७.६; १८.३-६ आदि । ३. रागाउरे वडिस विभिन्नकाए मच्छे जहा आमिसभोग गिद्धे ।
-उ० ३२.६३. तथा देखिए-उ० १६.६५. ४. देखिए-आहार, प्रकरण ४. ५. तुहं पिया सुरा सीहू मेरओ य महूणि य ।
-उ० १६.७१. वर वारुणीए व रसो विविहाण व आसवाण जरिसओ । महुमेरयस्स व रसो"
-उ० ३४.१४.
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