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प्रकरण ७ : समाज और संस्कृति
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दाह-संस्कार :
किसी परिवार में किसी व्यक्ति के मरने पर परिवार के लोग कुछ दिन तक शोक करते हुए मृत प्राणी को घर से निकालकर बाहर ले जाते और वहाँ जलती हुई चिता पर रखकर उसका दाहसंस्कार करते थे। यह क्रिया पिता के मरने पर पुत्र, पुत्र के मरने पर पिता तथा अन्य सम्बन्धीजनों के मरने पर उनके सम्बन्धीजन किया करते थे। इसके बाद जहाँ जीविका चलती वहाँ उसी दातार के पीछे चले जाते थे।
पशु-पालन :
उस समय की सम्पत्ति में पशु भी एक थे। उनमें कुछ पशु युद्धस्थल में काम आते थे। युद्ध में हाथी और घोड़े बहुत उपयोगी थे। ग्रन्थ में इनका बहुत्र उल्लेख मिलता है। कम्बोज-देशोत्पन्न घोड़े सुशिक्षित, युद्धोपयोगी और श्रेष्ठ होते थे। हाथियों में 'गन्धहस्ती' का उल्लेख मिलता है जिस पर सवार होकर अरिष्टनेमी विवाहार्थ गए थे ।५ जब कभी हाथी बन्धन तोड़कर भाग जाता था तो महावत उस मदोन्मत्त हाथी को अंकुश के द्वारा वश में
१. वही । २. गवासं मणिकुंडलं पसवो दासपोरुसं ।
-उ०६५. तथा देखिए-उ०.६.४६; १३.२४; २०.१४ आदि । ३. नागो संगामसीसे वा सूरो अभिहणे परं ।
-उ० २. १०. जहा से कंबोयाणं आइण्णे कथए सिया। आसे जवेण पवरे
-उ० ११.१६. तथा देखिए-पृ० ३६६, पा•टि०३; उ० १२.३०; १.१२; २३.५८, ४. वही। ५. मत्तं च गंधहत्थिं च वासुदेवस्स जिट्ठयं ।
-उ० २२.१०.
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