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प्रकरण ७ : समाज और संस्कृति
[४०५ पहले से वहाँ वर्तमान अरिष्टनेमी का भाई रथनेमी उसे नग्नरूप में देखकर काम-विह्वल हो जाता है और उससे काम-भोग भोगने की प्रार्थना करता है। जब राजीमती वहाँ पर-पुरुष को देखती है तो तुरन्त ही काँपती हुई अपने गोपनीय अंगों को छुपा लेती है और मौका पाकर वस्त्र से अपने शरीर को आच्छादित कर लेती है। तदनन्तर अपने कुल, शील आदि की रक्षा करती हई रथनेमी को भी कलोचित सदूपदेश के द्वारा सन्मार्ग में लाती है। इस तरह वह स्वयं को तथा रथनेमी को भी पतित होने से बचाती है।' राजीमती की ही तरह इषुकार देश के राजा विशालकीर्ति की पत्नी कमलावती भी राजा को सदुपदेश द्वारा सन्मार्ग की ओर ले जाती है। ___ इस तरह सिद्ध है कि उस समय नारियाँ न केवल पतिव्रता ही थीं अपितु पुरुषों को भी सदुपदेश द्वारा सन्मार्ग में लाती थीं और स्वयं दीक्षा लेकर अन्य स्त्रियों को भी दीक्षित करती थीं। ये शास्त्रों का भी अध्ययन किया करती थीं। अतः राजीमती को 'बहुश्रुता' कहा गया है। ये स्नान, मालाधारण, विलेपन आदि के द्वारा शरीर का श्रृंगार करती थीं। ५ कर्च और फनक ( ब्रश या कंघी ) से केशों का संस्कार करती थीं।६ श्रेष्ठ राजकन्याएँ राजाओं के द्वारा विवाहार्थ मांगी जाती थीं। इस तरह नारी की १. वही; परिशिष्ट २. २. वही। ३. सा पव्वईया संती पव्वावेसी तहिं बहुं । सयणं परियणं चेव सीलवंता बहुस्सुआ ।
-30 २२.२३. तथा देखिए-परिशिष्ट २. ४. वही। ५. देखिए-पृ० ४०४, पा० टि० १. ६. अह सा भमरसंनिभे कुच्चफणगप्पसाहिए।
-उ० २२. ३.. ७. तस्स राईमई कन्नं भज्ज जायइ केसवो।
-उ० २२.६.
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