SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६] उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन दिगम्बर - परम्परा में इस प्रकार का विभाजन नहीं मिलता है । वहाँ प्रथमतः अंग और अंगबाह्य ऐसे दो भेद किए गए हैं, फिर अंग के १२ और अंगबाह्य के १४ भेद किए हैं ।" इस तरह दिगम्बर- परम्परा में २६ आगमों की मान्यता है । परन्तु उनकी मान्यता है किं दृष्टिवाद के अंश विशेष के आधार पर लिखे गये षट्खण्डागम और कषायप्राभृत' को छोड़कर शेष अंग और अंगबाह्य आगम विच्छिन्न हो गये हैं, जबकि श्वेताम्बरपरम्परा में दृष्टिवाद का विच्छेद हुआ है और शेष आगम अविच्छिन्न हैं । दिगम्बर- परम्परा में अंगबाह्य के जो १४ भेद हैं, वे निम्नोक्त हैं : १. सामायिक, २. चतुर्विंशतिस्तव, ३ वन्दना, ४. प्रतिक्रमण, ५. वैनयिक, ६. कृतिकर्म, ७. दशवैकालिक, ८. उत्तराध्ययन, ६. कल्पव्यवहार, १०. कल्पाकल्प, ११. महाकल्प, १२. पुंडरीक, १३. महापुण्डरीक और १४. निषिद्धिका । इनमें आदि के छः भेद क्रमश: छः आवश्यकरूप हैं तथा अन्त: के छः भेदों का समावेश श्वेताम्बर सम्मत कल्प, व्यवहार और निशीथ नामक छेद सूत्रों में माना जाता है । शेष दो – दशवैकालिक और उत्तराध्ययन महत्त्वपूर्ण मूलसूत्र हैं । 3 इस तरह इस वर्तमानकालिक प्रचलित परम्परा में उत्तराध्ययन को अंगबाह्य मूलसूत्र के भेदों में गिनाया जाता है । परन्तु उत्तराध्ययन को मूलसूत्र क्यों कहा जाता है ? इस पर विचार करने के पूर्व मूलसूत्रों पर दृष्टि डालना आवश्यक है । मूलसूत्र : सामान्यतया मूलसूत्रों की संख्या चार मानी जाती है परन्तु कुछ विद्वान् उत्तराध्ययन, आवश्यक और दशवैकालिक इन्हीं तीनों की १. धवलाटीका - षट्खण्डागम, पुस्तक १, पृ० ६६; गो० जी०, गाथा ३६६-४६७. २. ये दोनों ग्रन्थ अंग के १२ भेदों में से दृष्टिवाद के अन्तर्गत आते हैं । देखिए - षट्खण्डागम, भूमिका, पृ० ७१. ३. देखिए - भा० सं० जे० यो०, पृ० ५४; जै० सा० ई० पू०, पृ० ६७९. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy