SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३२ १३४ १४१ १४७ १४७ १५० १५३ १५३ १६२ १७३ १७६-२४६ ( १२ ) मनुष्य व देवगति के सुखों में दुःखरूपता विषयभोग-जन्य सुखों में सुखाभासता दुःखरूप संसार की कारण-कार्य-परंपरा कर्म-बन्ध कर्मबन्ध शब्द का अर्थ विषमता का कारण-कर्मबंध कर्म-सिद्धान्त भाग्यवाद नहीं कर्मों के प्रमुख भेद-प्रभेद कर्मों की संख्या, क्षेत्र, स्थिति-काल आदि कर्मबन्ध में सहायक लेश्याएँ अनुशीलन प्रकरण ३ रत्नत्रय नव तथ्य मुक्ति का साधन-रत्नत्रय सम्यग्दर्शन सम्यग्दर्शन के आठ अंग सम्यग्दर्शन के भेद सम्यग्ज्ञान ज्ञान के प्रमुख पाँच प्रकार गुरु-शिष्यसम्बन्ध गुरु के कर्त्तव्य सम्यक्चारित्र सम्यक्चारित्र के प्रमुख पाँच प्रकार चारित्र के विभाजन का दूसरा प्रकार अनुशीलन प्रकरण ४ सामान्य साध्वाचार सामान्य साध्वाचार विशेष साध्वाचार दीक्षा की उत्थानिका दीक्षा लेने का अधिकारी EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE १७६ १८६ १६७ १६६ २०१ . २३६ २४७-३२८ २४७ २४८ २४८ २४८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy