________________
जैन आगमों में उत्तराध्ययन सूत्र
मूलसूत्र
उत्तराध्ययन सूत्र का परिचय रचयिता एवं रचनाकाल
उत्तराध्ययन सूत्र : यह नाम क्यों ?
भाषा-शैली और महत्त्व टीका- साहित्य
द्रव्य- विचार
लोक-रचना
ऊर्ध्व लोक
मध्यलोक
अधोलोक
षट - द्रव्य
अचेतन द्रव्य
गुण
- पर्याय
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रास्ताविक
चेतन द्रव्य
संसारी जीवों के विभाजन के स्रोत
स्थावर जीव
त्रस जीव
द्रव्य - लक्षण
अनुशीलन
प्रकरण १
Jain Education International
प्रकरण २
संसार
संसार की दुःखरूपता तिर्यंच और नरकगति के कष्ट
For Personal & Private Use Only
१-५१
६
१४
२६
३७
४०
४७
५३-१२८
५४
५५
५७
६०
६१
६३
८१
६०
६३
१०१
११८
१२०
१२१
१२३
१२-१७८
१२६
१३१
www.jainelibrary.org