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सम्यग्दर्शन आदि तथा तत्त्वों के जानने के उपाय
प्रमाणनयैरधिगमः। (6) अधिगम Adhigama is knowledge that is derived form tuition external sources, e.g. precept and scriptures. It is attained by (means of)-94101 एवं नय प्रमाण Authority by means of which we test direct or indirect right knowledge of the self and the non self in all their aspects. TT a stand - point which gives partial knowledge of a thing in some particular aspect of it. प्रमाण और नयों से पदार्थों का ज्ञान होता है।
रत्नत्रय, जीवादि द्रव्य, सप्त तत्त्व, नव पदार्थ आदि का ज्ञान प्रमाण और नयों से होता है। - पदार्थ का सम्पूर्ण परिज्ञान जिससे होता है उसे प्रमाण कहते हैं। जिससे पदार्थ का आंशिक ज्ञान प्राप्त होता है उसे नय कहते हैं। नय एवं प्रमाण का वर्णन तत्त्वार्थ सार में निम्न प्रकार किया गया है:
तत्त्वार्थाः सर्व एवैते सम्यग्बोधप्रसिद्धये। प्रमाणेन प्रमीयन्ते नीयन्ते च नयैस्तथा।
(14 तत्त्वार्थसार पृ.5) ये सभी तत्त्वार्थ सम्यग्ज्ञान की प्रसिद्धि के लिए प्रमाण के द्वारा प्रमित होते हैं और नयों के द्वारा नीत होते हैं अर्थात् प्रमाण और नयों के द्वारा जाने जाते हैं।
प्रमाण का लक्षण और उसके भेद सम्यग्ज्ञानात्मकं तत्र प्रमाणमुपवर्णितम्।
तत्परोक्षं भवत्येकं प्रत्यक्षमपरं । पुनः॥(15) .. उन प्रमाण और नयों में से प्रमाण को सम्यग्ज्ञान रूप कहा है अर्थात् समीचीनज्ञान को 'प्रमाण' कहते हैं। उसके दो भेद है - एक परोक्ष प्रमाण
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