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सात तत्त्व तथा सम्यग्दर्शन आदि के व्यवहार के कारण
नामस्थापनाद्रव्यभावतस्तन्न्यासः। (5) By name repres representation, privation, present, condition, their RTH aspects (are known.)
नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव रूप से उनका अर्थात् सम्यग्दर्शन आदि और जीव आदि का न्यास अर्थात् निक्षेप होता है।
इस सूत्र में वस्तु स्वरूप को विभिन्न दृष्टिकोण से परिज्ञान/शोध-बोध करने की प्रणाली का वर्णन है। प्रत्येक वस्तु में विभिन्न गुण-धर्म होने के कारण उसको जानने की प्रणाली भी विभिन्न होना स्वाभाविक है। जब तक हम विभिन्न गुण-धर्म को भिन्न-2 दृष्टिकोण से नहीं देखेंगे तब तक हमको उस वस्तु-स्वरूप का पूर्ण ज्ञान नहीं हो सकता है। इसलिए यतिवृषभ 'आचार्य ने यथार्थ से कहा
भी है
जो ण पमाण-णयेहिं णिक्खेवेणं णिरक्खदे अत्थं। तस्साजुत्तं जुत्तं जुत्तमजुत्तं च पडिहादि॥(82)
(ति.प.,प्रथम खण्ड) ___ जो नय और प्रमाण तथा निक्षेप से अर्थ का निरीक्षण नहीं करता है, उसको अयुक्त पदार्थ युक्त और युक्त पदार्थ अयुक्त ही प्रतीत होता है।
. नाम निक्षेप का लक्षण . या निमित्तान्तरं किञ्चिदनपेक्ष्य विधीयते। . द्रव्यस्य कस्यचित्संज्ञा तन्नाम परिकीर्तितम् ॥(10)
. (त.सा.,पृ.4) जाति, गुण, क्रिया आदि किसी अन्य निमित्त की अपेक्षा न करके किसी द्रव्य की जो संज्ञा रखी जाती है वह 'नाम निक्षेप' कहा गया है।
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