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________________ जिनमें ग्यारह परीषह सम्भव हैं। तेरहवें गुणस्थानवर्ती केवली जिन के 11 परीषह होते हैं। यह कथन उपचार से या कर्म की सत्ता एवम् उदय की अपेक्षा स्वीकार किया गया है । कोई-कोई श्वेताम्बर मत वाले जिनेन्द्र भगवान को भी परीषह मुख्य रुप से होते हैं ऐसा मानते है। परन्तु घातियाँ कर्मों का अभाव होने से क्षीण शक्ति वाले वेदनीय कर्म के सद्भाव से या उदय से भी केवली को परीषह जनित क्षुधादि परीषह नहीं होते हैं। एकादश जिने । (11) Eleven afflictions occur to the Omniscient Jina. घातियाँ कर्म के उदय रुप सहकारी कारण का अभाव हो जाने से अन्य कर्मों का सामर्थ्य नष्ट हो जाता है। जैसे - मन्त्र, औषधि के बल से (प्रयोग से) जिसकी मारण शक्ति क्षीण हो गई है ऐसे विषद्रव्य को खाने पर भी मरण नहीं होता है, वा विष द्रव्य मारने की समर्थ नहीं हैं, उसी प्रकार ध्यान रुपी अग्नि के द्वारा घातियाँ कर्म रुपी ईन्धन के जल जाने पर अप्रतिहत ( अनंत) ज्ञान, दर्शन, सुख और वीर्य रुप अनन्त चतुष्टय के धारी केवली भगवान के अन्तराय (लाभान्तराय) कर्म का अभाव हो जाने से प्रतिक्षण शुभ कर्म पुद्गलों का संचय होता रहता है। अतः प्रक्षीण सहाय वेदनीय कर्म के उदय का सद्भाव होने पर भी वह अपना कार्य नहीं कर सकता तथा सहकारी कारण के बिना स्व योग्य प्रयोजन उत्पादन के प्रति असमर्थ होने से क्षुधादि का अभाव है। जैसे - तेरहवें गुणस्थान में ध्यान को उपचार से कहा जाता है। वैसे ही वेदनीय का सद्भाव होने से केवली में ग्यारह परीषह उपचार से कही जाती हैं। अथवा यह वाक्य शेष नहीं है कि केवली में 11 परीषह कोई मानते हैं ? अपितु केवली के 11 परीषह है, ऐसा अर्थ करना चाहिए, जैसे समस्त ज्ञानावरण कर्म का नाश हो जाने के कारण परिपूर्ण केवलज्ञानी केवली भगवान में 'एकाग्रचिन्ता निरोध' का अभाव होने पर भी कर्मरज के विघ्न रुप ( कर्मनाश रुपी ) ध्यान के फल को देखकर उपचार से केवली में ध्यान का सद्भाव माना जाता है इसी प्रकार क्षुधादि वेदना रूप वास्तविक परीषहों का अभाव होने पर भी वेदनीय 570 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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