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कहा भी है:
- "लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर।"
मनोविज्ञान सिद्धान्त यह है कि जो व्यक्ति जिस वस्तु को चाहता है उसका उस वस्तु के प्रति आकर्षण होता है। इसी प्रकार जो मोक्ष चाहता है उसका आकर्षण मोक्षमार्ग व मोक्ष जीव के प्रति होता है। इससे उसे प्रेरणा आदर्श मिलता है जिससे वह धीरे-धीरे मोक्षमार्ग पर चलता हुआ मोक्ष प्राप्त करता है।
अध्याय - 1 मोक्ष मार्ग का स्वरूप सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः (1) सम्यक् दर्शन Right darsana (belief) सम्यक् ज्ञान Right Jnana (Knowledge) सम्यक् चारित्र Right charitra (Conduct) मोक्ष मार्गः the path to liberation.
Right belief, right knowledge, right conduct these together constitute the path to liberation.
सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, और सम्यग्चारित्र ये तीनों मिलकर मोक्ष का मार्ग है।
नीतिकारों ने कहा है “पराधीन स्वपनहुँ सुख नहीं" अर्थात् पराधीनता में सर्वदा, सर्वथा सुख का अभाव है। क्योंकि जीव का शुद्ध स्वस्वरूप पूर्ण स्वतंत्रतामय सुखस्वरूप है। इसलिए प्रत्येक जीव सुख चाहता है एवं दुःख से घबराता है। अतएव प्रत्येक जीव सुख की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करता है। परन्तु सुख के उपाय स्वरूप सम्यक्श्रद्धा, सम्यक् परिज्ञान एवं सम्यक् आचरण के बिना सुख प्राप्त नहीं कर पाता है। इसलिए समन्तभद्र आचार्य ने सुख प्राप्ति के उपाय के लिए समीचीन धर्म बतलाते हुए कहा है:
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