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अच्छी तरह से पके हुए नहीं हों वा जिस खाद्य पदार्थ का अधिक पाक हो जाए, वह आहार दुष्पक्व कहलाता है।
दुष्पक्व भोजन से इन्द्रियों में मद की वृद्धि होती है। सचित्त वस्तु के खाने से वायु आदि दोषों का प्रकोप हो सकता है, फिर उनका प्रतिकार करने की क्रियाओं में पाप लगता है और अतिथि ( मुनिगण) उसे ग्रहण नहीं करते हैं अत: वह त्याज्य है । ये पाँच उपभोगपरिभोगप्रमाण संख्यान व्रत के अतिचार हैं।
अतिथिसंविभाग व्रत के अतिचार
सचित्तनिक्षेपापिधानपरव्यपदेशमात्सर्यकालातिक्रमाः । ( 36 )
The partial transgression of the fourth शिक्षाव्रत i.e. अतिथिसंविभागव्रत
are:
1. सचित्तनिक्षेप
2. सचित्तापिधान
3. परव्यपदेश
4. मात्सर्य
Placing the food on a living thing
e.g. on a green plantain leaf. Covering the food with a living thing.
Delegation of host's duties to ano ther.
Lack of respect in giving or envy of another donor.
5. कालातिक्रम Not giving at the proper time. सचित्तनिक्षेप, सचित्तापिधान, परव्यपदेश, मात्सर्य और कालातिक्रम ये अतिथिसंविभागव्रत के पाँच अतिचार हैं।
(1) सचित्तनिक्षेप - सचित्त पर रखा हुआ सचित्तनिक्षेप कहलाता है। सचित्त का लक्षण पहले कर दिया है। सचित्त कमल - पत्र आदि पर रखी हुई वस्तु सचित्तनिक्षेप कहलाती है।
(2) सचित्तापिधान - सचित्त से ढकना सचित्तापिधान है । अपिधान आवरण .ये एकार्थवाची हैं। प्रकरणवश सचित्त से ढकना सचित्तापिधान है।
( 3 ) परव्यपदेश - अन्य दाता का द्रव्य है, ऐसा कहकर अर्पण करना परव्यपदेश है। यह दूसरे स्थान पर है, यह देय पदार्थ भी दूसरे का है ऐसा कहकर अर्पण
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