________________
2. अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितादान
3. अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितसंस्तरोपक्रमण
4. अनादर
5. स्मृत्यनुपस्थान
To take up or lay down things in a place without inspecting and without sweeping it.
अप्रत्यवेक्षित अप्रमार्जित भूमि में उत्सर्ग, अप्रत्यवेक्षित अप्रमार्जित वस्तु का आदान, अप्रत्यवेक्षित अप्रमार्जित संस्तर का उपक्रमण, अनादर और स्मृति का अनुपस्थान में प्रोषधोपवास व्रत के पाँच अतिचार हैं । अप्रत्यवेक्षिता-प्रमार्जितोत्सर्ग- बिना देखे और बिना शोधी हुई भूमि पर मलमूत्रादि करना - अप्रत्यवेक्षिता-प्रमार्जितोत्सर्ग हैं।
To spread a mat or seat in a place without inspecting and without
sweeping it.
Lack of intrest.
Forgetting of due formalities.
अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितादान- बिना देखी, बिना शोधी हुई भूमि पर अर्हन्त या आचार्य की पूजा के उपकरण का रखना, उठाना तथा गन्ध, माला, धूपादि का और अपने परिधान (बिछौना) आदि वा वस्त्र - पात्रादि पदार्थो का रखना, उठाना, ग्रहण करना आदि अप्रत्यवेक्षित प्रमार्जितादान है ।
अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जित संस्तरो-पक्रमण:- बिना देखी वा बिना शोधी भूमि पर संस्तर (बिछौना) आदि बिछाना अप्रत्यवेक्षिता - प्रमार्जित संस्तरोपक्रमण है । अनादरः- आवश्यक क्रियाओं में अनुत्साह- अनादर है। भूख-प्यास आदि के कारण आवश्यक क्रियाओं में उत्साह नहीं रखना अनादर है ।
• स्मृत्यनुपस्थान :- रात्रि और दिन की क्रियाओं को प्रमाद की अधिकता से भूल जाना स्मृत्यनुपस्थान है, ये पाँच प्रोषधोपवास के अतिचार हैं।
• The
भोग उपभोग परिमाण के अतिचार सचित्तसंबन्धसंमिश्राभिषवदुष्पक्वाहाराः । ( 35 ) partial Transgression of the third शिक्षाव्रत उपभोगपरिभोगपरिमाणव्रत are:
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
i.e.
457 www.jainelibrary.org