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अशिष्ट प्रयोग कौत्कुच्य है। मौखर्य- धृष्टतापूर्वक यद्वा-तद्वा बहुप्रलाप करना मौखर्य है। शालीनता का त्याग कर निर्लज्जता-पूर्वक बकवास करना मौखर्य है, ऐसा जानना चाहिए। असमीक्ष्याधिकरण- मन, वचन और काय के भेद से अधिकरण तीन प्रकार का है। मानस अधिकरण- निरर्थक काव्य आदि का चिंतन मानस अधिकरण है। वाचनिक अधिकरण- निष्प्रयोजन परपीड़ादायक कुछ भी बकवास करना, अनर्गल प्रलाप करना वाचनिक अधिकरण है। कायिक अधिकरण- बिना प्रयोजन चलते हुए, ठहरते हुए, बैठते हुए, सचित्त एवं अचित्त पत्र, पुष्प, फलों का छेदन-भेदन, कुट्टन, क्षेपण आदि करना, अग्नि, विष, क्षार आदि पदार्थ देना आदि जो क्रिया की जाती है वह कायिक अधिकरण है। ये सर्व असमीक्ष्याधिकरण हैं अर्थात् मन-वचन-काय की निष्प्रयोजन चेष्टा असमीक्ष्याधिकरण है। भोगोपभोगानर्थक्य- जितनी भोगोपभोग सामग्री से काम चल सकता है उससे अधिक निष्प्रयोजन सामग्री को आनर्थक्य कहते हैं। भोगोपभोग सामग्री का आनर्थक्य भोगोपभोगानर्थक्य कहलाता है।
. सामायिक शिक्षाव्रत के अतिचार
योगदुष्प्रणिधानानादरस्मृत्यनुपस्थानानि। (33) The partial transgressions of the first शिक्षाव्रत i.e. सामायिक are: 1. मनोदुष्प्रणिधान _Misdirection of mind during meditation. 2. कायदुष्प्रणिधान Misdirection of body during meditation. 3. वाक्दुष्प्रणिधान Misdirection of speech during meditation. 4. अनादर
Lack of interest. . 5. स्मृत्यनुपस्थान Forgetting of due formalities. काययोगदुष्प्रणिधान, वचनयोगदुष्प्रणिधान मनोयोगदुष्प्रणिधान अनादर
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