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5. अन्नपाननिरोध
human being.
बन्ध, वध, छेद, अतिभार का आरोपण और अन्नपान का निरोध ये अहिंसा अणुव्रत के पाँच अतिचार हैं।
With-holding-food or drink from an animal or
बन्ध - अभिमत (इच्छित ) देश (स्थान) में जाने के निरोध का कारण बन्ध है। अथवा इच्छित देश में जाने के उत्सुक के लिए उस गमन के प्रतिबन्ध के हेतु खूंटे आदि में रस्सी से इस प्रकार बाँध देना जिससे वह इष्ट देश में गमन न कर सके वह बंध कहलाता है।
वध - प्राणी- पीड़ा का कारण वध कहलाता है । डण्डा, कोड़ा, बेंत आदि से पीटना वध है न कि प्राणिहत्या, क्योंकि प्राणिहत्या से विरक्ति तो व्रतधारणकाल में ही हो चुकी है।
छेद- अङ्ग का अपनयन करना छेद है । कर्ण, नासिका आदि अवयवों का छेदन करना - नाश करना छेद कहलाता है।
अतिभारारोपण - उचित भार से अधिक भार लादना अतिभारारोपण है । अत्यन्त लोभ के कारण बैल, घोड़े आदि पर उचित भार से अधिक भार लादना अतिभारारोपण है।
अन्नपाननिरोध - भूख-प -प्यास की बाधा देना अन्नपाननिरोध है। उन गाय, भैंस, बैल आदि के लिए किसी कारण से भूख-प्यास की बाधा पैदा करना, उन्हें समय पर चारा- पानी नहीं देना अन्नपाननिरोध है । ये पाँच अहिंसाणुव्रत के अतिचार हैं।
सत्याणुव्रत के अतिचार मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहारसाकारमन्त्रभेदाः ।
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The partial transgressions of the second vow सत्याणुव्रत are :
1. मिथ्योपदेश
2. रहोभ्याख्यान
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Preaching false doctrines.
Divulging the secret actions of man and woman.
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