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वीतराग जिनेन्द्र भगवान् उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य से युक्त अथवा गुण और पर्यायों से युक्त पदार्थ को द्रव्य कहते हैं ।
गुण और पर्याय का लक्षण
गुणो द्रव्यविधानं स्यात् पर्यायो द्रव्यविक्रिया ॥ (9) ह्ययुतसिद्धं स्यात्समुदायस्तयोर्द्वयोः ।
द्रव्यं
द्रव्य की जो विशेषता है उसे गुण कहते हैं और द्रव्य का जो विकार - है-वह पर्याय कहलाता है। द्रव्य उन दोनों गुणपर्यायों का अपृथक् सिद्ध समुदाय
है।
गुण और पर्याय का पर्यायवाचक शब्द सामान्यमन्वयोत्सर्गौ
व्यतिरेको
विशेषश्च
सामान्य, अन्वय और उत्सर्ग ये गुणवाचक शब्द हैं तथा व्यतिरेक, विशेष और भेद ये पर्याय शब्द कहे गये हैं ।
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शब्दा:
भेदः
स्युर्गुणवाचकाः । पर्यायवाचका: ।। ( 10 )
गुण और द्रव्य में अभेद है
गुणैर्विना न च द्रव्यं विना द्रव्याच्च नो गुणाः । द्रव्यस्य च गुणानां च तस्मादव्यतिरिक्तता: ।। ( 11 )
गुणों के बिना द्रव्य और द्रव्य के बिना गुण नहीं होते, इसलिये द्रव्य और गुणों में अभेदता है।
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द्रव्य और पर्याय की अभिन्नता
न पर्यायाद्विना द्रव्यं विना द्रव्यान्न
वदन्त्यनन्यभूतत्वं
द्वयोरपि
पर्याय के बिना द्रव्य और द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती, इसलिये महर्षि दोनों में अभिन्नता कहते हैं।
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पर्ययः ।
महर्षयः ।। ( 12 )
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