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समाधान - सूक्ष्म स्कन्ध से कुछ अंश का भेद होने पर भी यदि उसने सूक्ष्मता का परित्याग नहीं किया है तो वह स्कन्ध अचाक्षुष का अचाक्षुष ही बना रहता है। सूक्ष्म परिणत पुनः दुसरा स्कन्ध उसका भेद होने पर भी अन्य के संघात से सूक्ष्मता का परित्याग करके स्थूलता को प्राप्त हो जाता है तब चाक्षुष हो जाता है अर्थात् आँखो से दिखने लग जाता है।
द्रव्य का लक्षण सद्द्द्रव्य लक्षणम्। (29)
The differentia of a substance or Reality is sat, isness or being.. द्रव्य का लक्षण सत् है -
यह विश्व शाश्वतिक है। क्योंकि इस विश्व में स्थित समस्त द्रव्य भी शाश्वतिक हैं। आधुनिक विज्ञान में भी सिद्ध हो गया कि, शक्ति या मात्रा कभी भी नष्ट नहीं होती है परन्तु परिवर्तन होकर अन्य रूप हो जाती है। विज्ञान में कहा भी है
Matter and energy neither be created nor destroyed. Each can be completely changed into another form or into one another.
विज्ञान के मूलभूत सिद्धान्त हैं कि किसी नई वस्तु की सृष्टि नहीं होती है एवं कोई वस्तु सम्पूर्ण रूप से नष्ट नहीं होती। केवल उसके आकार और पर्याय में परिवर्तन होता है।
दवियदि गच्छति ताई ताई सब्भाव पज्जयाई जं । दवियं तं भण्णंते अणण्णभूदं तु सत्तादो ॥ (9)
पंचास्तिकाय
What flows or maintains its identity through its several qualities and modifications, and what is not different from satta or substance,
that is called dravya by the all knowing.
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उन-उन सद्भावपर्यायों को जो द्रवित होता है- प्राप्त होता है, उसे द्रव्य कहते हैं- जो कि सत्ता
से अनन्यभूत है ।
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