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नहीं जुड़ सकते, बादर बादर हैं।
(2) बादर - दूध, घी, तेल, जल, रस आदि ( स्कन्ध) जो कि छेदन होने पर स्वयं जुड़ जाते हैं, बादर हैं।
(3) बादर सूक्ष्म - छाया, धूप, अंधकार चाँदनी आदि ( स्कन्ध) स्थूल होने पर भी जिनका छेदन, भेदन अथवा (हस्तादि द्वारा ) ग्रहण नहीं किया जा सकता बादर सूक्ष्म हैं।
( 4 ) सूक्ष्म बादर - स्पर्श-रस-गंध शब्द, जो कि सूक्ष्म होने पर भी स्थूल ज्ञात होते हैं, सूक्ष्म बादर हैं।
जो आँखो से नहीं दिखाई पड़ें वे सूक्ष्म स्थूल हैं । जैसे आँख के सिवाय अन्य चार इन्द्रियों के विषय वायु, रस, गंध, शब्द आदि ।
(5) सूक्ष्म - कर्मवर्गणादि ( स्कन्ध) जिन्हें सूक्ष्मपना है तथा जो इन्द्रियों से ज्ञात न हों ऐसे हैं, वे सूक्ष्म हैं।
( 6 ) सूक्ष्म सूक्ष्म - कर्मवर्गणा से नीचे के द्विअणुक-स्कन्ध तक के ( स्कन्ध) जो कि अत्यन्त सूक्ष्म हैं वे सूक्ष्म सूक्ष्म हैं।
परमाणु का वर्णन
सव्वेसिं खंधाणं जो अंतो तं वियाण परमाणू ।
सो सस्सदो असो एक्को अविभागी मुक्तिभवो ॥ (77)
सर्व स्कन्धों का जो अंतिम भाग उसे परमाणु जानो वह अविभागी एक (एक प्रदेशी) शाश्वत, मूर्तिप्रभव ( मूर्त रूप से उत्पन्न होने वाला) और अशब्द
है।
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मूर्तत्व के कारणभूत स्पर्श-रस-गंध-वर्ण का परमाणु से आदेश मात्र द्वारा (कथन मात्र में) ही भेद किया जाता है, वस्तुतः जो जिस प्रकार परमाणु का वही प्रदेश आदि है, वही मध्य है और वही अन्त है उसी प्रकार द्रव्य और गुण के अभिन्न प्रदेश होने से, जो परमाणु का प्रदेश है वही स्पर्श का
आदेसमेत्तमुत्तो धादुचदुक्कस्स कारणं जो दु । सो णेओ परमाणू परिणामगुणो सयमसद्दो | (78)
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