________________
वहन प्राय: एक-एक व्यक्ति ने अधिकांशत: वहन किया है। परन्तु निवाई में नया कुछ आदर्श प्रस्तुत हुआ है। मेरी निवाई की धार्मिक शिष्य एवं शिष्याएँ मिलकर 'उपाध्याय कनकनंदी की दृष्टि में शिक्षा” नामक पुस्तक का अर्थभार वहन किया तो निवाई दि.जैन समाज ने 'स्वप्न विज्ञान' का अर्थभार वहन किया है। इस ‘स्वतन्त्रता के सूत्र' ग्रन्थ का अर्थभार दि.जैन महिला समाज ने वहन किया है। महिला समाज ने इस पुस्तक का अर्थभार वहन करके यह सिद्ध कर दिया है कि महिलाएँ अबला नहीं सबला है। महिला केवल भोग सन्तान-उत्पत्ति, खाना बनाने का यंत्र नहीं है परन्तु पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, राजनैतिक, धार्मिक आदि प्रत्येक कार्य में पुरुष के कन्धे में कन्धे मिलाकर आगे बढ़ने में भी समर्थ है। इसके प्रकाशन में नेमीचन्द काला जैन आदि जयपुर वालों का तथा सौ.शारदा, महेन्द्रकुमार जैन कलकत्ता वालों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
उपरोक्त द्रव्यदाता, लेखन कार्य में सहायक करने वाले, "धर्म दर्शन विज्ञान शोध प्रकाशन" के कार्यकर्ता, इस पुस्तक के अध्ययन करने वाले विद्यार्थी वर्ग को मेरा मंगलमय आशीर्वाद हैं। इस स्वतंत्रता के सूत्र' का अध्ययन करके मनन पूर्वक उसका आचरण करके समस्त जीव मोक्षमार्ग के पथिक बने इस महती भावना के साथ
उपाध्याय कनकनन्दी
वर्तमान युग में विश्व में जो अशान्ति फैली हुई है उसका मुख्य कारण सत्य के प्रति विकर्षण एवं असत्य के प्रति आकर्षण है।
23
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org