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________________ एक परमाणु रहता है व ठहरता है व स्थान प्राप्त करता है। उसी आकाश प्रदेश में स्कंध को प्राप्त हुए तथा सूक्ष्म परिणत दो परमाणु रह सकते हैं। इसी प्रकार एक ही आकाश प्रदेश में तीन, चार, दस, बीस, सौ, हजार, लाख, करोड़, संख्यात, असंख्यात, अनंतानंत परमाणु रह सकते हैं। आकाश प्रदेश में भी इसी प्रकार अवगाहन शक्ति है जिसके कारण उपरोक्त स्कंध रह सकते है। नाणोः । (11) नाणोः प्रदेशा भवन्ति। There are no numberable pradesas of an indivisible elementary particle of matter (an atom.) परमाणु के प्रदेश नहीं होते। __दसवें सूत्र में कहा गया कि पुद्गलों के संख्यात, असंख्यात और अनंत प्रदेश होते हैं। यह सामान्य कथन है। परन्तु यहाँ पर विशेष कथन किया गया है कि अणु, पुद्गल होते हुए भी अणु के प्रदेश नहीं होते हैं। प्रदेश नहीं होते इसका मतलब ये नहीं कि अणु पूर्ण रूप से प्रदेश से रहित है। परन्तु परमाणु एक प्रदेश मात्र है तथा द्वि आदि प्रदेश से रहित हैं। जैसे रेखागणित में बिन्दु सत्तावान होते हुए भी उसकी लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई नहीं है; उसी प्रकार परमाणु स्वयं एक प्रदेशी सत्तावान (अस्तित्त्ववान) होते हुए भी इसकी लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई नहीं है। जिस प्रकार एक आकाश प्रदेश में भेद नहीं होने से वह अप्रदेशी माना गया है उसी प्रकार अणु स्वयं एक प्रदेश रूप है इसलिए उसमें प्रदेश भेद नहीं होता। दूसरे अणु से अल्प परिणाम नहीं पाया जाता। ऐसी कोई अन्य वस्तु नहीं जो परमाणु से छोटी हो जिससे इसके प्रदेश भेद को प्राप्त होवें। इस परमाणु को किसी भी कत्रिम प्रक्रिया से या स्वयं किसी प्राकतिक प्रक्रिया से खण्डित नहीं किया जा सकता है अथवा खंडित नहीं होता है। एक शक्तिशाली बम पहाड़ को भी विध्वंस कर सकता है। परन्तु ऐसे कई शक्तिशाली बम भी अणु को खण्डित नहीं कर सकते हैं। यह परमाणु न अग्नि से जलता है न पानी से गीला होता है न वायु से उड़ता है, न चक्षु से दिखाई 279 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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