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________________ यहाँ पर जम्बूद्वीप में जम्बूवृक्ष है, पुष्कर द्वीप में अपने परिवार वृक्षों के साथ पुष्करवृक्ष हैं। इसीलिए इस द्वीप का पुष्करद्वीप यह नाम रूढ़ हुआ है। शंका- इस द्वीप को 'पुष्करार्ध' यह संज्ञा कैसे प्राप्त हुई ? समाधान- मानुषोत्तर पर्वत के कारण इस द्वीप के दो विभाग हो गये हैं अत: आधे द्वीप को पुष्करार्ध यह संज्ञा प्राप्त हुई। मनुष्य क्षेत्र प्राङ् मानुषोत्तरान्मनुष्याः। (35) On this side of Manusottara (alone) there are men. मानुषोत्तर पर्वत के पहले तक ही मनुष्य हैं। __ पुष्करद्वीप के ठीक मध्य में चूड़ी के समान गोल मानुषोत्तर नाम का पर्वत है। उससे पहले ही मनुष्य हैं, उनके बाहर नहीं। इसलिए मानुषोत्तर पर्वत के बाहर पूर्वोक्त क्षेत्रों का विभाग नहीं है। इस पर्वत के उस ओर उपपाद जन्मवाले और समुद्घात को प्राप्त हुए मनुष्यों को छोड़कर और दूसरे विद्याधर या ऋद्धिप्राप्त मुनि भी कदाचित् नहीं जाते हैं। इसलिए इस पर्वत का मानुषोत्तर यह सार्थक नाम है। इस प्रकार जम्बूद्वीप आदि ढाई द्वीपों में और दो समुद्रों में मनुष्य जानना चाहिए। मनुष्यों के भेद आर्या म्लेच्छाश्च। (36) The human beings in these 2 '/2 reigions 37615&14 are of two kinds :377f Arya and Fmocy Mlechchha (i.e. respectively those who care and do not care or religion) Human beings are of 2 kinds : आर्य Arya, Noble worthy respectable. म्लेच्छ Mlechchha, barbarian non-Aryan, Low, Savage. मनुष्य दो प्रकार के हैं- आर्य और म्लेच्छ। आर्य- उत्तम शुद्ध जाति, कुल उत्पन्न, न्याय नीति, सदाचार धर्मानुसार आचरण करने वाले को संक्षिप्तत: से हम आर्य कह सकते हैं। अनार्य- निन्दनीय, नीच, भ्रष्ट, नीच जातिकुल में उत्पन्न, नीति, नियम, सदाचार, 218 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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