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________________ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org पर्वतों और क्षेत्रों के नाम विस्तार (दक्षिण-उत्तर) भरत क्षेत्र हिमवान् पर्वत हेमवत् क्षेत्र 2905°/10 महाहिमवान् पर्वत 421010/10 हरिक्षेत्र 8421'/10 निषध पर्वत विदेह क्षेत्र नील पर्वत बनमी पर्वत हैरण्य क्षेत्र शिखरणी पर्वत ऐरावत क्षेत्र 526 / 10 1052 12/10 विस्तार (पूर्व-पश्चिम) 144715/19 2493910/19 जम्बूद्वीप के पर्वत और क्षेत्र पर्वत की वर्ण नींव (यो. में) 168422/19 336844/10 168422/19 84211/19 168422/19 2905°/10 2493918/19 421010/10 3767410/19 526°/19 लम्बाई ऊंचाई 3767416/19 539318/19 7390117/19 7390117/19 94156°/10 144715/19 2493114/10 100 सुवर्णमय 37610/10 53931°/19 200 । । । 5393 10/19 1447 15/19 - 400 100000 94156°/19 7390117/19 94156°/19 400 वैदूर्यमयी 539316/19 7390117/19 7390117/19 94156°/10 200 रजतमय 37610/19 - - रजतमय 100 तप्त सुवर्ण सुवर्णमय (यो. कूट । 25 50 - 100 - 100 - 50 1 1 - 25 11 8 → 9 - 9 - 8 - 11 ऊँचाई (यो. में) - 25 - 50 - 100 - 100 - 50 25 1 चौड़ाई (यो में. ) मूल में 25, मध्य में 183/4 अन्त में 121/2 मूल में 50, मध्य में 371 /2 अन्त में 25 मूल मे 100, मध्य में 751/2 अन्त में 50 मूल में 100, मध्य में 751/2 अन्त में 50 मूल में 50, मध्य में 37 12 अन्त में 25 मूल में 25, मध्य में 183/4 अन्त में 121/2
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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