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________________ Raktoda, Flow in those seven Ksetras; 2 in each respectivelyi.e. Ganga and Sindhu in Bhairta, Rohit and Rohitasya in Haimvata etc; etc. इन भरत आदि क्षेत्रों में से गंगा, सिन्धु, रोहित, रोहितास्या, हरित, हरिकान्ता, सीता, सीतोदा, नारी, नरकान्ता, सुवर्णकूला, रूप्यकूला, रक्ता और रक्तोदा नदियाँ बहती हैं। ये नदियाँ क्षेत्र के मध्य में बहती है। प्रथम पद्म और छटवें पुण्डरीक क्षेत्र से तीन-तीन नदियाँ निकलती है शेष क्षेत्र से दो-दो नदियाँ निकली है। भरत में गंगा-सिन्धु, हैमवत में-रोहित-रोहितास्या हरि में हरित-हरिकांता, विदेह में-सीता- सीतोदा, रम्यक में-नारी- नरकांता, हैरण्यवत में- सुवर्णकूलारूप्यकूला और ऐरावत में-रक्ता- रक्तोदा नदियाँ बहती है। नदियों के बहने का क्रम द्वयोर्द्वयोः पूर्वाः पूर्वगाः। (21) These 14 rivers must be taken in groups of 2 each. The first of each group as named above flows eastwards and falls into the ocean there. दो-दो नदियों में से पहली-पहली नदी पूर्व समुद्र को जाती हैं। ___ इन नदियों में जो प्रथम नदी है, वे पूर्व समुद्र में जाकर मिली हैं। अर्थात् गंगा, रोहित, हरित्, सीता, नारी, सुवर्ण और रक्ता ये सात नदियाँ पूर्व के समुद्र में जाकर मिलती है। शेषास्त्वपरगाः। (22) But the others flow westwards and fall into the ocean there. किन्तु शेष नदियाँ पश्चिम समुद्र को जाती हैं। दो दो नदियों में से पीछे वाली नदी पश्चिम समुद्र को जाती है। अर्थात् सिन्धु, रोहितास्या, हरिकान्ता, सीतोदा, नरकान्ता, रूप्यकूला, और रक्तोदा ये सात नदियाँ पश्चिम समुद्र में जाकर मिलती है। महानदियों की सहायक नदियाँ चतुर्दशनदीसहस्रपरिवृता गङ्गासिन्ध्वादयो नद्यः । (23) चतुदर 210 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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