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________________ On the top of these mountains there are the following 6 lakes respectively : पदम्, महापद्म, तिगिंच्छ, केशरि, महापुण्डरीक, पुण्डरीक । . इन पर्वतों के ऊपर क्रम से पद्म, महापद्म तिगिंछ, केसरी, महापुण्डरीक और पुण्डरीक ये तालाब हैं। पद्म नामक तालाब पूर्व और पश्चिम एक हजार योजन लम्बा है और पाँच सौ योजन चौड़ा है। इसका तलभाग वज्र से बना हुआ है। तथा इसकी तट भाग नाना प्रकार के मणि और सोने से चित्रविचित्र है। प्रथम सरोवर की लम्बाई चौड़ाई प्रथमो योजन सहस्रायामस्तदर्द्धविष्कम्भो हृदः । ( 15 ) The first take has a length of 1000 Yojanas and a breadth of half of that i.e. 500 Yojanas. पहलां तालाब एक हजार योजन लम्बा और इससे आधा चौड़ा हैं। पद्म नामक तालाब पूर्व और पश्चिम एक हजार योजन ( 40,00,000 मील) लम्बा है और पाँच सौ योजन ( 20,00,000 मील) चौड़ा है। इसका तलभाग वज्र से बना हुआ है। तथा इसका तट भाग नाना प्रकार के मणि और सोने से चित्र विचित्र है। योजन दो प्रकार के हैं: - ( 1 ) लघु योजन (2) महायोजन | लघुयोजन 4 कोस (8 मील) का होता है। दो हजार कोस (4000 मील) का महायोजन होता है। अकृत्रिम द्वीप, समुद्र, कुलाचल (पर्वत) वेदी, नदी कुंड या सरोवर जगति और भरत क्षेत्रादि का माप प्रमाणागुंल या महायोजन से होता है। कृत्रिम चीजों का माप आत्मागुल या लघुयोजन से होता है। . . जैसे- परिवर्तन शील पर्वत, नदी, नाला, देवों के विमान, मनुष्यों के शरीर, झारी, कलश, दर्पण, वेणु, भेरी, युग, शय्या, शकट, हल, मूसल, शक्ति, तोमर, सिंहासन, बाण, नालि, अक्ष, चामर, दुंदुभि, पीठ, छत्र, मनुष्यों के निवास स्थान व नगर और उद्यानादिकों का माप । Jain Education International For Personal & Private Use Only 207 www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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