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________________ उन सबके बीच में गोल और एक लाख योजन विषकम्भ वाला जम्बूद्वीप है। जिसके मध्य में मेरू पर्वत है। विश्व तीन विभाग में विभक्त है। उसमें से मध्यलोक एक रज्जू व्यास वाला है। तनुवातवलय के अन्त भाग तक तिर्यग्लोक अर्थात् मध्यलोक में स्थित है। मेरू पर्वत एक लाख योजन विस्तार (ऊँचाई) वाला है। उसी मेरू पर्वत द्वारा ऊपर तथा नीचे इस तिर्यग्लोक की अवधि निश्चित है। ___ लोकाकाश, अलोकाकाश के मध्य भाग में स्थित है। अत: अलोकाकाश के मध्य के 8 प्रदेश हैं, वे ही 8 प्रदेश लोकाकाश के भी मध्य प्रदेश बन जाते हैं। सुदर्शन मेरू के नीचे ठीक मध्य में ये 8 प्रदेश स्थित हैं। अतः सुमेरू का मध्य भी इन 8 प्रदेशों पर ही होता है। इसलिए अलोकाकाश का, लोकाकाश का और सुमेरू का, तीन लोक का, तिर्यक् लोक का तथा जम्बु-द्वीप का मध्य प्रदेश वही. 8 मध्य प्रदेश हैं, अत: लोक आदि के मध्य प्रदेश एक ही क्षेत्र परिवर्तन का प्रारम्भ, गो स्तनाकार इन 8 मध्य प्रदेशों से होता है। जघन्य अवगाहना वाला सूक्ष्म निगोदिया जीव अपनी 8 मध्य के प्रदेशों को इन 8 मध्य प्रदेशों पर स्थापित कर जन्म लेता है। इसलिए 8 मध्य प्रदेश क्षेत्र परिवर्तन का प्रारम्भ स्थान है। जघन्य अवगाहना वाला सूक्ष्म निगोदिया जीव जब अपने 8 मध्य प्रदेशों में स्थापित कर जन्म लेता है तब आठ मध्य प्रदेश जीव के शरीर के भी 8 मध्य प्रदेश होते हैं। इन आठ मध्य प्रदेशों के अवलम्बन से लोकाकाश की चार दिशाओं का व्यवहार होता है अर्थात् 8 प्रदेश से नीचे अधोलोक का प्रारम्भ, 8 प्रदेशों • 'के ऊपर एवं सुमेरू के चूलिका पर्यन्त मध्यलोक का व्यवहार है एवं चूलिका के एक बालाग्र के ऊपर से उर्ध्वलोक का प्रारम्भ होता है। इसीलिए इन 8 मध्य प्रदेश, लोक माप का एक केन्द्र स्थल है। सुमेरू पर्वत- विदेहक्षेत्र के मध्य में निन्यानवें हजार योजन ऊँचा, पृथ्वी तल में एक हजार योजन अवगाह वाला मेरू पर्वत है। पाताल तल में इसका विस्तार दस हजार नब्बे (10090) योजन और एक योजन के ग्यारह भागों 197 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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