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* ४३६ * कर्मविज्ञान भाग ९ : परिशिष्ट *
कुधर्म-मिथ्यादृष्टियों द्वारा प्ररूपित, हिंसादि पापाचरणों के विधान से मलिन, मूढ़ बुद्धि लोगों में क्रियाकाण्ड या कर्मकाण्डरूप कामनामूलक धर्म से प्रसिद्ध हो कर भी वस्तुतः धर्म नहीं है। वह संसार-परिभ्रमण का कारण हो सकता है। .
कुपात्र-जो घोर मिथ्यात्व के वशीभूत हो कर दुष्कर तपश्चरण करते हैं। द्रव्यरूप से अहिंसादि पाँच व्रतों को ग्रहण करते हैं, बाह्यरूप से संयम, नियम और शील से युक्त हैं, कषायों और इन्द्रियों के विजेता हैं, वे मिथ्यादृष्टि होने से सुपात्र नहीं हैं। अथवा गृहस्थ में रह कर भी जो मद्य-माँसादि सप्त कुव्यसनों का सेवन करते हैं, पापाचारी हैं, वे भी कुपात्र हैं। ___कुव्यसन-जुआ, चोरी, माँसाहार, मद्यपान, वेश्यागमन, परस्त्रीगमन और शिकार अपि सात महापापवर्द्धक कुव्यसन हैं।
कुप्यप्रमाणातिक्रम-आसन, शय्या आदि घर के उपस्कर (साधन-सामग्री) को कुप्य कहते हैं। परिग्रहपरिपाणव्रत में गृहीत कुप्य के परिमाण (मर्यादा) का उल्लंघन करना कुप्यप्रमाणातिक्रम अतिचार है।
कुल-(I) गच्छों के समुदाय को कुल कहते हैं। (II) अथवा एक ही आचार्य की शिष्य-परम्परा को कुल कहते हैं। (III) पिता-पितामहादि पूर्व पुरुषों के वंश को कुल कहते हैं। ___ कुलकर-भोगभूमि की समाप्ति पर कर्मभूमि के प्रारम्भ में कुलों की व्यवस्था करने में कुशल तथा कुलों को धारण करने के कारण ये कुलधर या कुलकर तथा प्रजा के जीवनोपायों पर मनन करने वाले युगादिपुरुष मनु कहलाते थे।
कूटतुलामान-यह तृतीय अणुव्रत का अतिचार है। तोलने के तराजू और नापने के बाँटों को हीनाधिक रखना। कम तौल वाले बाँट से देना, अधिक तौल वाले से लेना, यह है-कूटतुलामान नामक अतिचार।।
कूटलेख-बनावटी हस्ताक्षर करना, जालसाजी करना, बनावटी लेख लिखना, दस्तावेज बनाना, कूटलेख नामक श्रावक के द्वितीय अणुव्रत का अतिचार। द्वितीय सत्य-अणुव्रत का अतिचार है।
कूटस्थ नित्य-जिसमें किसी प्रकार का हलन-चलन न हो सके।
कूटसाक्ष्य-झूठी साक्षी = गवाही देना। रिश्वत, मात्सर्य या अन्य लोभवश असत्य बयान देना, झूठी गवाही देना।
कृष्णपाक्षिक-दीर्घकाल तक संसार में परिभ्रमण करने वाले जीव।
कृष्णवर्ण-नामकर्म-जिस नामकर्म के उदय से शरीरगत परमाणुओं का वर्ण काला हो, वह कृष्णवर्ण-नामकर्म है।
केवलज्ञान-जो ज्ञान केवल (मतिज्ञानादि से रहित) यानी असहाय हो, परिपूर्ण, असाधारण (अनुपम), विशुद्ध सकलपदार्थ-प्रकाशक, समस्त लोक-अलोकज्ञाता हो।
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