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* ३८० * कर्मविज्ञान : परिशिष्ट *
शरीरमोह नष्ट होते ही केवलज्ञान प्रगट हो गया २६४, गणधर गौतम स्वामी को रागभाव दूर करने का संकेत २६५, केवलज्ञान दीर्घकालिक साधकों को दीर्घकाल में और अल्पकालिक साधकों को अल्पकाल में क्यों? २६५, रूपासक्त इलायचीकुमार को केवलज्ञान कैसे हुआ ? २६६, क्षुधा - असहिष्णु कूरगडूक मुनि केवलज्ञान से सम्पन्न क्यों हो गए ? २६७, मन्द बुद्धि माषतुष मुनि को केवलज्ञान किस कारण से हुआ ? २६८, अर्जुन मुनि को कैवल्य और मोक्ष कैसे हो गया ? २६८, हत्यारा दृढप्रहारी कैसे केवलज्ञानी बना ? २६९, सामायिकव्रती केशरी चोर का हृदय परिवर्तन और केवलज्ञानार्जन कैसे हुआ ? २७०. चण्डरुद्राचार्य के नवदीक्षित शिष्य को और उस निमित्त से आचार्य को केवलज्ञान कैसे प्राप्त हुआ ? २७१, मृगावती साध्वी और उसके निमित्त से आर्या चन्दनबाला को केवलज्ञान प्राप्ति २७२, केवलज्ञान की ज्योति किसको प्राप्त हो सकती है, किसको नहीं ? २७३, पापी और नरकगति की सम्भावना वाले को भी वीतरागोपदेश क्रियान्वित करने से मुक्ति संभव है २७३, उच्च साधना तथा क्रियापात्रता होते हुए भी राग-द्वेष कषायादि क्षीण न हों तो केवलज्ञान नहीं २७४ |
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