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* २४८ * कर्मविज्ञान : भाग ९ *
की क्रिया अन्तःक्रिया है। ऐसी अन्तः क्रिया करने वाले भी अन्तकृत् केवली कहलाते हैं । अन्तःक्रिया सम्बन्धी वर्णन हम मोक्ष के प्रकरण में कर आये हैं । कर्मविज्ञान की शर्त यह है कि अन्तकृत् केवली हो या अवधिज्ञानी या छद्मस्थ साधक हो, भले ही तपस्या या रोगादि से उसका शरीर अशक्त और क्षीण हो गया हो, भले ही मरणासन्न अवस्था को प्राप्त हो, भोग भोगने में शरीर असमर्थ हो, किन्तु इतना क्षीण शरीर होने पर भी जब तक वह मन और वचन से भी स्वाधीन और अस्वाधीन समस्त भोगों का परित्याग कर देगा, तभी वह भोगत्यागी केवली या अन्य ज्ञानी सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हो सकेगा या महानिर्जरा-महापर्यवसान से युक्त हो सकेगा।
अन्तकृत् केवली चरमशरीरी भी कहलाता है
अन्तकृत् केवली को चरमशरीरी या अशरीरी भी कहा जाता है । चरमशरीरी से तात्पर्य है जिसका यही अन्तिम शरीर है । इसके पश्चात् जो अब तीनों प्रकार के शरीरों (औदारिक, तैजस् और कार्मण शरीर) को धारण नहीं करेगा । फलतः वह अशरीरी सिद्ध-बुद्ध-मुक्त, निरंजन - निराकार) हो जायेगा, वह चरमशरीरी कहलाता है। 'भगवतीसूत्र' में इस तथ्य को पुनः पुनः दोहराया गया है कि अतीत, अनागत और वर्तमान शाश्वतकाल में जिन अन्तकरों ने अथवा चरमशरीरी मानवों ने समस्त दुःखों का अन्त किया है, करते हैं या करेंगे, वे सब उत्पन्न ज्ञान-दर्शनधारी, जिन, अर्हन्त और केवली होने के पश्चात् ही सिद्ध-बुद्ध-मुक्त आदि होंगे, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करेंगे।" तात्पर्य यह है कि मनुष्य चाहे कितना ही उच्च संयमी हो, ग्यारहवें-बारहवें गुणस्थान तक पहुँचा हुआ हो, किन्तु जब तक उसे केवलज्ञान-केवलदर्शन प्राप्त न हो, तब तक वह सिद्ध-बुद्ध-मुक्त नहीं हो सकता, न हुआ है और न होगा । अवधिज्ञानी सामान्य या परम अवधिज्ञानी, जो लोकाकाश के सिवाय अलोक के एक प्रदेश को भी जान लेता हो, वह उसी भव में मोक्ष जाता है, किन्तु जाता है केवली होकर ही ।' भव्य जीव ही मनुष्य-भव पाकर अन्तः क्रिया कर सकता है।
चरमशरीरी को ये सत्तरह बातें प्राप्त हो जाती हैं
'धर्मबिन्दु ग्रन्थ' में चरमशरीरी की पहचान के लिए उसे प्राप्त १७ बातें बताई गई हैं। अर्थात् जो जीव उसी भव में मोक्ष जाने वाला होता है उसे पुण्य (शुभ कर्म) के उदय से निम्नोक्त १७ बातें प्राप्त होती हैं
(१) चरमशरीरी को परिणाम में भी प्रायः रमणीय तथा उत्कृष्ट विषयसुख प्राप्त होते हैं।
१. भगवतीसूत्र, विवेचन, खण्ड १, श. १, उ. ४, सू. १७ (आ. प्र. समिति, ब्यावर )
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