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जैनदर्शन मोक्षवादी दर्शन है। वह आत्मा की परम विशुद्ध स्वभावदशा में विश्वास करता है। स्वभाव है सुख/आनन्द/परम निर्मलता। आत्मा में मलिनता स्वाभाविक नहीं, कर्मों के कारण है। कर्ममुक्ति। की प्रक्रिया को समझना-जैनधर्म का साधना मार्ग है। साधना का पथ है संयम, संवर और तप अर्थात् निर्जरा। इन्हीं दो उपायों से कर्ममुक्ति की साधना सम्भव है। संयम/संवर साधना के विषय में विस्तारपूर्वक पढ़िये प्रस्तुत भाग में।
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