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पहले कौन ? संवर या निर्जरा
पहले क्या करें ?
किसी अनुभवी से पूछा जाए कि सनसनाती हुई सख्त ठंडी हवा सौ माइल की गति से चल रही हो, उस समय पहले क्या किया जाना चाहिए? क्या पहलवान बनकर सर्दी की तासीर बदल डालना चाहिए और कमरे के दरवाजे, खिड़कियाँ खुली रहने देनी चाहिए? अथवा पहले कमरे के दरवाजे, खिड़कियाँ बंद करके फिर दवा लेकर शरीर को सर्दी बर्दाश्त करने के काबिल मजबूत बनाने का अभ्यास करना चाहिए? ऐसी स्थिति में दूरदर्शी और समझदार व्यक्ति तो यही कहेगा कि सर्वप्रथम कमरे की खिड़कियाँ और दरवाजे बंद कर देना चाहिए, ताकि ठंडी हवा से शरीर की रक्षा हो सके, उसके पश्चात् शरीर को सर्दी-गर्मी सहन करने जैसा सुदृढ़ बनाने की साधना करनी हितावह रहेगी। क्योंकि ठंडी हवा भले ही मजबूत शरीर वाले की कुछ भी क्षति न कर सके, परन्तु जिसका शरीर अभी कमजोर है, सर्दी-गर्मी सहन करने में सक्षम नहीं है, उसे तो सख्त ठंडी हवा से बचना जरूरी है। पहले आम्नवों का निरोध
इसी प्रकार आज जबकि चारों ओर से सनसनाती हुई मिथ्यात्व, हिंसादि अविरति, प्रमाद, कषाय एवं मन, वचन, काय के अशुभ योग की सख्त ठंडी हवाएँ चल रही हों, ऐसे समय में निश्चिन्त होकर सर्वसाधारण मानव को सीना तानकर आम्नवों के विरोध में पहले ही स्वयं की आत्मा को सुदृढ़ एवं सुरक्षित मानकर खड़े रहना चाहिए, यानी उन मिथ्यात्व, अविरति आदि-आदि को निश्चिन्त होकर प्रवेश करने देना चाहिए? अथवा पहले उन आम्रवों का तत्काल निरोध करना चाहिए, ताकि वे आस्रव बेधड़क होकर निर्बल मन वाले जीव पर हावी होकर उसके जीवन में प्रविष्ट न हो जाएँ? स्पष्ट है कि कर्ममुक्ति का बाहोश साधक पहले तीव्र वेग से आने वाले आम्रवों का निरोध करेगा, क्योंकि वह जानता है कि सर्वप्रथम आते हुए आसवों को रोके बिना उन्हें बाद में पछाड़ डालने