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________________ समस्या के स्रोत : आस्रव, समाधान के स्रोत : संवर ७३ हेयता, ज्ञेयता और उपादेयता, उसके साथ मेरा कितना, क्या और किस प्रकार का सम्बन्ध है ? इस बात को जानना ही वास्तव में आचार - समन्वित विचार है। आ शंकराचार्य ने इसी तथ्य का समर्थन करते हुए कहा है "कोsहं, कथमिदं जातं, को वैकर्त्ताऽस्य विद्यते ? उपादानं किमस्तीह ? विचारः सोऽयमीदृशः ॥” -मैं कौन हूँ? यह शरीरादि कैसे हुए हैं ? इनका कर्त्ता कौन है ? यहाँ उपादान क्या है? इसके साथ मेरा ( आत्मा का ) क्या सम्बन्ध है ? इस प्रकार का विचार ही वास्तविक विचार (आत्म-चिन्तन) है। अध्यात्म-साधक श्रीमद् राजचन्द्र जी के शब्दों में देखिये "हुं कोण छु ? क्यांथी थयो ? शुं स्वरूप छे मारूं खरूं ? कोना सम्बन्धे वलगणा छे ? राखूं के ए परिहरूं ? " - कौन, कहाँ से, क्या स्वरूप है मेरा ? मेरा किसके साथ संयोग सम्बन्ध होने पर भी आसक्ति है ? इस सम्बन्ध को रखूँ या छोड़ दूँ ? इस प्रकार जो अपने आप को भलीभाँति जान लेता है, उसका ज्ञान आत्मगत तथा अनुभूत हो जाता है, वह थोड़ा-सा जानकर भी बहुत जान लेता है। उसकी अन्तर्दृष्टि खुल जाती है। ज्ञान की असीम शक्ति का द्वार खुल जाता है। वह ज्ञाता-द्रष्टा बनकर सभी समस्याओं का समाधान सहज ही प्राप्त कर लेता है। ऐसे ज्ञान के साथ जब दर्शन होता है, आस्था दृढ़ हो जाती है, ज्ञात वस्तु अनुभव की कोटि में आ जाती है। वही अनुभव आचरण में आ जाने पर तमाम समस्याओं का समाधान हो जाता है। तब कषाय और राग-द्वेष के संस्कार समाप्त होने लगते हैं। वर्तमान में ही उसे आंशिक मुक्ति (कर्मों का अंशतः क्षय) मिल जाती है। संक्षेप में संवर और निर्जरा की साधना समस्या के समाधान का अन्तिम उपाय है। भगवान महावीर ने यही मूलग्राही दृष्टि दी है। मूल को पकड़ो, उसे तोड़ो, तब सभी समस्याएँ एक झटके में सुलझ जाएँगी। इस प्रक्रिया से समस्या का मूलस्तरीय समाधान मिल जाने पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, साम्प्रदायिक या मानवता की अन्यान्य समस्याएँ भी इन्हीं दो तत्त्वों ( संवर और निर्जरा) से समाहित हो सकेंगी। समस्या के प्रति सही दृष्टिकोण को अपनाने पर इन्हीं दोनों के परिप्रेक्ष्य में शीघ्र समाधान मिल सकता है।
SR No.004247
Book TitleKarm Vignan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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