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________________ __ संवर और निर्जरा : एक विश्लेषण सिंह और कुत्ते की दो प्रकार की वृत्ति पशुजगत् में सिंह और कुत्ता दो ऐसे विलक्षण प्रकृति के प्राणी हैं कि हम उनमें दो प्रकार की प्रवृत्ति देखते हैं। सिंह क्रूर प्राणी है। उस पर कोई पत्थर से प्रहार करता है, तो वह पत्थर को नहीं पकड़ता, किन्तु उस व्यक्ति को ही सीधा पकड़ता है, जिसने उस पर पत्थर फेंककर प्रहार किया था, इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति कुत्ते पर पत्थर फेंकता है तो वह पत्थर फेंकने वाले को नहीं पकड़ता, किन्तु उस पत्थर को मुँह में पकड़कर दबाने या चबाने का प्रयत्न करता है, जिसके द्वारा उस पर प्रहार हुआ है। जीव भी दो प्रकार की वृत्ति वाले हैं इसी प्रकार की वृत्ति-प्रवृत्ति वाले जीव इस कर्मबद्ध संसार में पाये जाते हैं, बल्कि यों कहना चाहिए कि अधिकांश जीव सिंह-सरीखी प्रकृति के न होकर कुत्ते की-सी प्रकृति वाले देखे जाते हैं। उपादान को पकड़ना सिंह की-सी प्रकृति है और निमित्त को पकड़ना कुत्ते की-सी प्रकृति है। ___सिंहवृत्ति वाले उपादान को, श्वानवृत्ति वाले निमित्त को पकड़ते हैं जैसे सिंह विचक्षण है, वह सोचता है कि इस पत्थर का क्या अपराध है ? अपराध तो पत्थर फेंकने वाले का है ? पत्थर बेचारा मुझे क्या पीड़ा दे सकता है ? वह तो हत्था है, माध्यम है, बिचौलिया है। पीड़ा देने वाला तो दूसरा व्यक्ति है, उसी मूल कारण (उपादान) को पकड़ना चाहिए। परन्तु कुत्ते-जैसे जीव में वैसी विचक्षणता नहीं पाई जाती। वह मूल कारणरूप व्यक्ति को न पकड़कर तथाकथित हत्थे (माध्यम) को ही अपराधी मानकर उसे पकड़ता है। फलस्वरूप वह स्वयं हैरान होता है, कष्ट पाता है। उसकी मूर्खता पर हमें तरस आता है। श्वानवृत्ति वालों की प्रवृत्ति कैसी होती है ? इस जीवसृष्टि में भी दोनों प्रकार के जीव हैं। जो श्वानवृत्ति वाले हैं, वे अपने
SR No.004247
Book TitleKarm Vignan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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