SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३ धर्म और कर्म : दो विरोधी दिशाएँ धर्म और कर्म का केन्द्र-बिन्दु और कार्य भिन्न-भिन्न हैं यह तो दिन के उजेले की तरह स्पष्ट है कि धर्म और कर्म परस्पर विरोधी हैं, उनके स्वभाव भी पृथक्-पृथक् हैं। धर्म का केन्द्रबिन्दु है - जागृति और कर्म का केन्द्रबिन्दु है - मूर्च्छा या मूढ़ता। मूर्च्छा या मूढ़ता आनव और बन्ध है, जबकि जागृति संवर और निर्जरा है। कर्म का कार्य जीव को मूर्च्छाग्रस्त करना है, जबकि धर्म का कार्य है–उस मूर्च्छा को तोड़ना, जागृति लाना । मूर्च्छा घनी होती है, तब जागृति अन्धकाराच्छन्न हो जाती है । मूर्च्छा और जागृति दोनों एक-दूसरे की विरोधी हैं। मूर्च्छा जागृति नहीं, तथैव जागृति मूर्च्छा नहीं । मोहनीय कर्म आदि क्या-क्या करते हैं ? वास्तव में, मूर्च्छा सघन होती है - मोहनीय कर्म का उदय होने पर । मोहनीय कर्म की दो शक्तियाँ हैं - दर्शनमोहनीय और चारित्रमोहनीय। दोनों ही प्रकार के मोहकर्म जीव की दर्शनशक्ति और चारित्रशक्ति को सुसुप्त, मूर्च्छित, कुण्ठित, आवृत और विकृत करते हैं। मानव जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करता हैमोहकर्म। अज्ञान और मोह ये दोनों जीवन को कुण्ठित और विकृत करते हैं। ज्ञानावरणीय कर्म के कारण व्यक्ति सही नहीं जान पाता, दर्शनावरणीय कर्म के कारण यथार्थ दर्शन नहीं कर पाता, अन्तराय कर्म के कारण व्यक्ति अपनी आत्मिक-शक्तियों का सही उपयोग नहीं कर पाता । किन्तु मोहनीय कर्म के कारण व्यक्ति जानता-देखता हुआ भी तथा शक्ति-सामर्थ्य का उपयोग करता हुआ भी सही-सही आचरण नहीं कर पाता। मोहकर्म दृष्टि में भी विकृति उत्पन्न करता है और आचरण में भी। मोहकर्म के सहयोगी दो तथ्य हैं- ' अहंकार और ममकार' | अनात्मीय वस्तुओं में आत्मीयता का अभिनिवेश ममकार है। जैसे- शरीर, परिवार, धन, मकान, आभूषण, वाहन आदि के प्रति ममत्व होना ममकार है और इन वस्तुओं की प्रचुरता होने पर उनके प्रति ममत्व के कारण अहंत्व-मद, अहंभाव पैदा होना अहंकार है । इन दोनों की सीमा बहुत ही विस्तृत है, सर्वलोकव्यापी है। इसी
SR No.004247
Book TitleKarm Vignan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy