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ॐ २९८ ® कर्मविज्ञान : भाग ६ ॐ
यह तो समाचार-पत्रों से विदित है कि विभिन्न पक्षों में एक-दूसरे की कटु आलोचना, आक्षेप-प्रत्याक्षेप, सत्ता के लिए संघर्ष, किसी पक्ष के नेता की हत्या करवा देना, आपसी रंजिश आदि के कारण कितना वैर-विरोध चलता है.? और इससे राष्ट्र-भक्ति के बदले पक्ष-भक्ति ही दृष्टिगोचर होती है। पाँचवाँ कारण हैअपराधों के प्रतिशोध को लेकर वैर-विरोध पैदा हो जाना। किसी के द्वारा जाने-अनजाने कोई अपराध हो गया। अपराध हो जाने के बाद अपराधी ने जिसका अपराध किया है, उससे क्षमा माँगकर विनयपूर्वक क्षतिपूर्ति नहीं करता, उलटे अहंकारवश उद्धत होकर जिसका अपराध किया है, उसको या. उसकी सम्पत्ति को खत्म करने पर तुल जाता है, फलतः दोनों पक्षों में मारामारी, शास्त्रास्त्र-संचालन और मुकद्दमेबाजी चलती है। इस प्रकार वैर-विरोध की भावना दोनों पक्षों में बढ़ती जाती है और अहंकारयुक्त वाणी के कारण भी वैर-परम्परा, वैमनस्य और पारस्परिक द्वेष बढ़ता जाता है। द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के प्रति अहंकारयुक्त वाणी-प्रयोग के कारण ही महाभारत का भयंकर युद्ध हुआ। मगध राज्य के सत्ताधीश पद के अहंकार के कारण ही कोणिक ने हल्लविहल कुमार को हार और हाथी हस्तगत करने के लिए अपने मातामह गणाधिप चेटक महाराज के साथं रथमूसल संग्राम किया। एक तुच्छ बात को लेकर एक करोड़ अस्सी लाख मनुष्यों का संहार कराना, कौन-सी बुद्धिमानी थी?? वर्तमान युग में भी एक विकसित राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को विकसित होते देखकर ईर्ष्यावश किसी भी बहाने से भयंकर युद्ध छेड़ने का प्रयास करता है। सबल राष्ट्र निर्बल राष्ट्र को आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा, गुलाम और अविकसित करने के लिए तरह-तरह की पैंतरेबाजी करता है। यह कुटिलता आखिर वैर-परम्परां को बढ़ाती है। अपराध के प्रतिशोध से वैर-परम्परा बढ़ती है
अपराध का प्रतिशोध लेने से वैर-परम्परा कैसे बढ़ जाती है? इसे समझने के लिए महाभारत का एक आख्यान लीजिये। एक राजा के राजप्रासाद में पूजना नाम की एक चिड़िया रहती थी। वह राज-परिवार के साथ हिलमिल गई थी। राजा-रानी दोनों उसका आदर करते थे। जब रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, तभी चिड़िया ने एक बच्चे को जन्म दिया। राजपुत्र और चिड़िया का बच्चा दोनों का साथ-साथ पालन-पोषण हो रहा था। दोनों क्रमशः बड़े हुए, समझदार हुए तो साथ-साथ
खेलते, साथ-साथ प्रेम से रहते। दोनों में गाढ़ी दोस्ती हो गई। चिड़िया प्रतिदिन वन में जाती और वहाँ से दो विलक्षण एवं दुर्लभ फल लेकर आती। उनमें से एक १. देखें-निरयावलिकासूत्र और भगवतीसूत्र में महाशिलाकंटक और रथमूसल संग्राम का
हृदयविदारक वर्णन