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________________ ॐ आत्म-मैत्री से मुक्ति का ठोस कारण ॐ २९७ ॐ लिए परस्पर लड़ाई होती थी। जो उसमें जीत जाता, वह लूट का माल अपने कब्जे में कर लेता था। इसी प्रकार राज्यलिप्सा और अपने राज्य का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए दो राजाओं में परस्पर युद्ध होता था, जो राजा हार जाता था, उसका राज्य विजेता राजा ले लेता। किसी सुन्दर स्त्री को पाने के लिए राजाओं में ही नहीं, सामान्य लोगों में भी परस्पर झगड़े होते थे और उनके फलस्वरूप परस्पर वैर-परम्परा बढ़ जाती थी। राजस्थान का इतिहास ऐसे अनेक युद्धों और परस्पर वैर-विरोध से भरा पड़ा है। जातिगत या वंशगत विद्वेष तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है। पाँच-सात. पीढ़ियाँ बीत जाती हैं, फिर भी दोनों पक्ष के लोग उस वैर-विरोध को भूलते नहीं। परस्पर लड़ते हैं, मरते-खपते हैं। भले ही उससे उनको कुछ भी उपलब्धि न हो, परन्तु अपने अहं को पुष्ट करने के लिए ही वे परस्पर लड़ते हैं। इसी में वे अपनी आन, बान और शान समझते हैं। सम्प्रदाय-मत-पंथ को लेकर भारत में ही नहीं, विदेशों में भी परस्पर वैर-विरोध, लड़ाई, वाद-विवाद, शास्त्रार्थ एवं रक्तपात हुए हैं।' 'क्रूजेडो' इसका ज्वलन्त प्रमाण है। भारतवर्ष में भी आर्यों-अनार्यों का, हिन्दू-मुस्लिमों का, शैव-वैष्णवों का, श्रमण-ब्राह्मणों का, जैन- वैदिकों का संघर्ष, कलह, वैर-विरोध समय-समय पर हुआ है। आज भी हिन्दू- मुस्लिमों का संघर्ष, मारामारी और हत्याकाण्ड जारी है। वर्तमान युग में, जबकि अहिंसा का प्रयोग और विकास भारत में हो चुका है। भारत-पाकिस्तान में, भारत और मुस्लिम देशों में परस्पर वैर-विरोध यदा-कदा फूट निकलता है। जैनों-जैनों में भी जरा-से साम्प्रदायिक मतभेद को लेकर संघर्ष, विद्वेष और विरोध उभर आता है। अनेकान्तवाद को ताक में रखकर केवल अपने अंहकार को, अधिकार को एवं स्वार्थ को लेकर परस्पर मुकद्दमेबाजी, संघर्ष, वाक्कलह जैन सम्प्रदायों में चल रहा है। इससे वैमनस्य बढ़ता है, भयंकर अशुभ कर्मबन्ध होता है, इसका कोई भी ठण्डे दिल से विचार करने को तैयार नहीं। राज्य को लेकर ही नहीं, अपने से भिन्न राष्ट्र को दुश्मन समझकर पाकिस्तान आजाद हुआ, तभी से तरह-तरह से भारत के साथ विभिन्न तरीकों से लड़ रहा है। इसी प्रकार का संघर्ष पंजाब में सिक्खों का और असम में बोडों का भारत सरकार के साथ भूमि के टुकड़े को लेकर या अपने अधिकारों के लिए चल रहा है। भारत राष्ट्र के प्रति विभिन्न राजनैतिक पार्टियाँ कितनी वफादार हैं ? और किस प्रकार वे राष्ट्र की उन्नति के लिए प्रयत्नशील हैं? १. ईसाइयों और मुस्लिमों में १00 वर्ष तक चले हुए भयंकर युद्ध को 'क्रूजेडो' की संज्ञा दी ___गई है। २. 'धर्मानुबन्धी विश्वदर्शन, भा. ५' (गुजराती) (शिविर प्रवचन) से संक्षिप्त
SR No.004247
Book TitleKarm Vignan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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