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औपशमिकादि पांच भावों से मोक्ष की ओर प्रस्थान ५०३ गुणस्थानों में औपशमिक आदि भावों की प्ररूपणा का यंत्र
क्रम | गुणस्थान संख्या नाम
एकजीव-आश्रित
|कुल मूलभाव५
कुल मूलभाव ५
औपशमिक २ uuu | सर्व-जीव आश्रित
० | ०
. क्षायिक ९
| क्षायोपशमिक १८
औदयिक २१ | पारिणामिक ३ | कुल उत्तरभेद ५३
मिथ्यात्व
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सास्वादन
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. ३. मिश्र
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१.
४. अविरति .
» | |
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6
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३/४
१९/ २ ५. देशविरति | ३/४ | ६. प्रमत्तसंयत । ३४ ५ ६३ १४ १५ २ ३३ ७. अप्रमत्तसंयत | ३/४ | ५ | १ | १ | १४ | १२ २ ३० ८. अपूर्वकरण ४ ५ २ १ १३ १०.२ | २८ ५. अनिवृत्तिकरण | ४/५। ५ २ १ १३ १०. २ | २८ १०. सूक्ष्म सम्पराय | ४/५ । ५ ११. उपशान्तमीह ४/५ २ १२ ३ २ २०
क्षीणमोह ।। ४ ४ . २ | १२ ३ २ १९ सयोगिकेवली ३ ३ . ९. ३ २ १३ अयोगिकेवली ३ | ३ .२ १२१
४/५
१. चतुर्थ कर्मग्रन्थ परिशिष्ट (मरुधरकेसरीजी), पृ. ३५०
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