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१० कर्म विज्ञान : भाग ५ : कर्मबन्ध की विशेष दशाएँ
बन्धों की कुछ विचित्रताओं का भी उपर्युक्त १० अवस्थाओं के अतिरिक्त निर्देश किया है।
चौबीस दण्डकवर्ती जीव कर्मजाल से आवेष्टित-परिवेष्टित
सर्वप्रथम उन कर्मप्रकृतियों का निर्देश करेंगे जिन्हें भगवतीसूत्र में चौबीस दण्डकवर्ती समस्त संसारी जीवों को कर्म किस-किस प्रकार आवेष्टित और परिवेष्टित किये हुए हैं, उनका सजीव वर्णन प्रस्तुत किया गया है। वहाँ इस रहस्य को उद्घाटित किया गया है कि मनुष्य के सिवाय चौबीस दण्डकवर्ती प्रत्येक जीव ज्ञानावरणीय से लेकर अन्तराय तक आठ ही कर्मों के अविभाग परिच्छेदों (अनन्तअनन्त परमाणुओं) से आवेष्टित और परिवेष्टित है। अर्थात् गाढ़रूप से चारों ओर से लिपटे हुए प्रगाढ़रूप से बद्ध है।
मनुष्यों के लिए अपवाद बताया है, उसका कारण यह है कि केवलज्ञानी भगवन्तों के चार घातीकर्म (ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय) नष्ट हो चुके होते हैं, इसलिए उनके चार घाती कर्मों से लिपटने का सवाल ही नहीं है। रहे चार अघाती कर्म । ये चारों अघाती कर्म ( वेदनीय, नाम, गोत्र और आयुष्य ) जैसे छद्मस्थ मनुष्यों के होते हैं, वैसे ही केवलियों के होते हैं, फिर भी केवलियों में एक विशेषता है, कि ये चारों अघाती कर्म पूर्वकाल में बँधे हुए हैं, सो हैं ही। नये सिरे से केवल सातावेदनीय का बन्ध होता है, अन्य का नहीं। इसलिए केवली भगवन्तों के सिवाय अन्य सभी छद्मस्थ मनुष्य तो आठों ही कर्मों के अनन्त - अनन्त परमाणुओं से आवेष्टित परिवेष्टित हैं। इस प्रकार कर्म से आवेष्टित-परिवेष्टित होने का निर्देश करके उन ज्ञानी महापुरुषों ने कर्मबन्ध से न लिपटने और सावधान रहने की परोक्ष चेतावनी दी है।
कर्मबन्धों के परस्पर सहभाव की प्ररूपणा
इसके अतिरिक्त उन्होंने बंधने वाले कर्मों के परस्पर सहभाव की ओर संकेत करते हुए कहा है - जिस जीव के ज्ञानावरणीय कर्म है, उसके नियमतः दर्शनावरणीय कर्म भी है, और जिसके दर्शनावरणीय कर्म है, उसके ज्ञानावरणीय कर्म भी अवश्यमेव है।
जिसके ज्ञानावरणीय कर्म है, उसके वेदनीय कर्म अवश्य होता है, परन्तु जिसके वेदनीय कर्म है, उस जीव के ज्ञानावरणीय कर्म कदाचित् होता हैं, कदाचित नहीं भी होता। इसी प्रकार जिसके मोहनीय कर्म है, उसके ज्ञानावरणीय कर्म अवश्य होता है, किन्तु जिसके ज्ञानावरणीय कर्म है, उसके मोहनीय कर्म कदाचित् होता है, कदाचित्
२. भगवती सूत्र श. ८ उ. १० सू. ३१ से ४१ तक (आगम प्रकाशन समिति ब्यावर )
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