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३२६ कर्म-विज्ञान : भाग - २ : कर्मफल के विविध आयाम (५)
की तीन कोठरियाँ थीं, जिनमें वह रहता, भोजन बनाता और गुजारा करता था। एक दिन एक पंजाबी व्यापारी रात्रि को लगभग दस-साढ़े दस बजे आया और रातभर सोने के लिए एक कोठरी की मांग करने लगा। पहले तो उन्होंने टालामटूल की। पर जब वह अधिक गिड़गिड़ाने लगा तो उक्त भाई ने उसे एक कोठरी रात्रि-निवास करने के लिए दे दी।
उस पंजाबी व्यापारी का परिचय उसने पहले ही पा लिया था, जिसे उक्त श्रमजीवी भाई की बहन भी सतर्क होकर सुन रही थी। जब वह अपना कमीज आदि खोलकर निश्चिंतता से सो गया तो बहन के मन में लोभवृत्ति जागी - "यह व्यापारी है। दस हजार रुपये इसके पास हैं। हम दोनों भाई बहन बड़ी मुश्किल से गुजारा चलाते हैं। क्यों नहीं, इस व्यापारी को खत्म करके रुपये ले लिये जाएँ ? पाप के बिना आदमी सुख से नहीं सकता। यहाँ कोई देखता भी नहीं । झटपट इसकी लाश को ठिकाने लगा देंगे। किसी को कुछ भी पता नहीं लगेगा।”
यह सोचकर वह उठी, पूरी चौकसी से देखा कि पंजाबी व्यापारी गाढ़ी निद्रा में सो रहा है। छुरा निकाल कर ले आई और उसके गले को रेत डाला। गले से खून की धारा बह निकली। थोड़ी देर तक छटपटाकर वह शान्त हो गया। फिर उसने उस व्यापारी की जेब से १० हजार रुपयों की नोटों की गड्डियाँ निकालीं और प्रसन्न होती हुई अपने भाई के पास पहुँची। उसे हाथ से हिलाकर जगाया। भाई ने पूछा- “क्या है ? क्यों जगा रही हो ?” बहन बोली - "भाई-भाई ! देखो हरे-हरे नोट !”
भाई -“कहां से लाई ?” बहन - "वह पंजाबी व्यापारी था न ! उसे मैंनें खत्म कर दिया है और उसकी जेब से निकाल कर लाई हूँ ।" भाई बोला - "अरी पापिनी ! घोर अनर्थ कर डाला तूने ! एक तो विश्वासघात का पाप किया, दूसरे हत्या और तीसरा चोरी का पाप ! इस पाप का कितना भयंकर फल भोगना पड़ेगा ?"
बहन ने कहा - " "ऐसा मैं न करती तो, जिंदगीभर गरीबी और अभाव की चक्की में हमें पिसना पड़ता ! अब हम आनन्द की जिंदगी जीएँगे। इतने रुपयों से अच्छा कारोबार करेंगे और शीघ्र ही मालामाल हो जाएँगे।"
पहले तो भाई माना नहीं, परन्तु बाद में वह भी बहन की बात से सहमत हो गया। घर के पास कूड़े का ढेर पड़ा था। वहाँ जगह खोद उस पंजाबी की लाश को दफना दिया। ऊपर से जगह एक सरीखी करके उस पर कूड़ा डाल दिया। किसी को भी पता न लगा। बात आई गई हो गई।
अब तो उन रुपयों से व्यापार किया। दो ही वर्षों में काफी पैसा कमाया। बहन तो उसी वर्ष चल बसी। भाई ने शादी की। दो वर्ष बाद बच्चा हुआ । उसका पालन-पोषण
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