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कर्म अपना फल कैसे देते हैं ? २६७
सराबोर कर देती है। साथ ही अधिक चीनी और चीनी की मिठाइयाँ खाने वाले व्यक्ति के शरीर में वे मधुमेह, पायरिया, कृमिरोग आदि भी पैदा कर देती हैं।
मिर्च या चीनी खाने के बाद मुंह जलाने या मुँह मीठा करने ईश्वर या कोई अन्य नियामक नहीं आता।
इसी प्रकार विभिन्न खाद्य पदार्थों और दवाइयों में ज्ञानशून्यता होने पर भी उनके परमाणुओं में चेतन के साथ सम्पर्क होने पर एक विशिष्ट शक्ति उत्पन्न हो जाती है। वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कृत जड़ पदार्थों की शक्ति का चमत्कार
___ जड़ परमाणुओं की विलक्षण कार्यक्षमताएं आज किसी से छिपी नहीं हैं। क्या पठित और क्या अपठित सभी आज वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कृत परमाणुओं की स्वयं स्फूर्त, स्वतः उत्पन्न शक्तियों के अनेक आश्चर्योत्पादक चमत्कार देखते हैं, अनुभव करते हैं। बिजली की शक्ति के अनेक चमत्कार तो आबाल-वृद्ध प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामोफोन, टेलिफोन, टेलीविजन, रेडियो, वायरलैस, बीडिओ कैसेट, टेप रिकार्डिंग आदि अनेकानेक आधुनिक जड़ जगत् के प्रतिनिधि वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कृत विभिन्न परमाणुओं के चमत्कार भी परमाणु शक्ति को उजागर करते हैं। इन सब वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कृत पदार्थों में किसी ईश्वर, देवी-देव या कोई अन्य शक्ति काम नहीं करती, यहाँ तो परमाणुशक्ति के ही ये सब चमत्कार हैं। ____ उदाहरणार्थ-रेडियो एक वैज्ञानिक आविष्कार है। इससे हजारों मील दूर बैठे संगीत, भाषण सुना जाता है। इसमें कहाँ तो बोलने वाला बैठा है, कहाँ सुनने वाला? परन्तु इस यंत्र में ऐसी शक्ति है कि यह भाषा के परमाणुओं को पकड़ लेता है, और उन्हें उसी भाषा के रूप में दूर-दूर तक प्रसारण कर देता है। इसी प्रकार के अन्य यंत्रों में भी परमाणुओं की शक्ति के अनेक विध चमत्कार हैं। - जैनकर्मविज्ञान द्वारा निर्दिष्ट कर्म भी कार्मणवर्गणा के परमाणुओं की शक्ति का अनेकविध चमत्कार है। जिस प्रकार ये वैज्ञानिक उपकरण या यंत्र भी भाषा वर्गणा आदि के परमाणुओं को दूर से आकर्षित-आहत होकर वहाँ श्लिष्ट या स्थित हो जाते हैं।
और फिर अपना चमत्कार दिखाते हैं। इसी प्रकार कर्मयोग्य (कार्मणवर्गणा) के परमाणु भी जीव के राग-द्वेष आदि परिणामों से आकृष्ट होकर जीव के आत्मप्रदेशों के साथ श्लिष्ट या सम्बद्ध हो जाते हैं, तो जीव के शुभाशुभ अध्यवसायों के अनुसार उन कर्मों में शुभ या अशुभ कर्मफल देने की शक्ति भी स्वतः उत्पन्न हो जाती है। जिससे वे समय आने पर अपने-आप शुभ या अशुभ कर्मों का फल सुख या दुःख के रूप में प्रकट करते रहते हैं। इस प्रकार कर्म जड़ होता हुआ भी कर्मकर्ता के जीवन को प्रभावित और चमत्कृत कर देता है। वह समय आने पर जीव को अच्छे-बुरे फल प्रदान करता है।
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