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# कर्मफल के विविध आयाम .. १. कर्म का कर्ता कौन, फलभोक्ता कौन?
२. कर्मों का फलदाता कौन? ३. कर्म अपना फल कैसे देते हैं ? ४. कर्मफल वैयक्तिक अथवा सामूहिक ? ५. क्या कर्मफल-भोग में विनिमय या संविभाग है ? , . ६. कर्मफल यहाँ या वहाँ, अभी या बाद में ? ७. कर्म-महावृक्ष के सामान्य और विशेष फल ८. विविध कर्मफल : विभिन्न नियमों से बंधे हुए
९. पुण्य-पापकर्म का फल : एक अनुचिन्तन । १0. हार और जीत के रूप में : पुण्य-पाप के फल ११. पुण्य और पाप के फल : धर्मशास्त्रों के आलोक में १२. कर्मों के विपाक यहाँ भी, आगे भी १३. आत्मा का उत्थान-पतन : पुण्य-पाप के निमित्त
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