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कर्म - विज्ञान : कर्म का अस्तित्व ( १ )
बाइबिल के चेप्टर ३ पैरा ३-७ में ईसा कहते हैं- "मेरे इस कथन पर आश्चर्य मत करो कि तुम्हें निश्चितरूप से पुनर्जन्म लेना पड़ेगा । " ईसाई धर्म के प्राचीन आचार्य 'फादर ओरिजिन' कहते थे - "प्रत्येक मनुष्य को अपने पूर्व-जन्मों के कर्मों के अनुसार अगला जन्म धारण करना पड़ता है। " प्रो. मैक्समूलर ने अपने ग्रन्थ 'सिक्स सिस्टम्स ऑफ इंडियन फिलॉसॉफी' में ऐसे अनेक आधार एवं उद्धरण प्रस्तुत किये हैं, जो बताते हैं कि ईसाई धर्म पुनर्जन्म की आस्था से सर्वथा मुक्त नहीं है । 'प्लेटो' और 'पाइथागोरस' के दार्शनिक ग्रन्थों में इस मान्यता को स्वीकारा गया है। 'जौजेक्स' ने अपनी पुस्तक में उन यहूदी सेनापतियों का हवाला दिया है, जो अपने सैनिकों को मरने के बाद फिर पृथ्वी पर जन्म पाने का आश्वासन देकर लड़ने के लिए उभारते थे।
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सूफी संत 'मौलाना रूम' ने लिखा है - " मैं पेड़-पौधे, कीट-पतंग, पशु-पक्षी-योनियों में होकर मनुष्य वर्ग में प्रविष्ट हुआ हूँ। और अब देववर्ग में स्थान पाने की तैयारी कर रहा हूँ।"
अंग्रेज दार्शनिक ह्यूम तो प्रत्येक दार्शनिक की तात्त्विक दृष्टि को इस बात से परख लेते थे कि 'वह पुनर्जन्म को मान्यता देता है या नहीं' ? ' ह्यूम कहता था - "आत्मा अजर-अमर है, अविनाशी है। जो अजर-अमर या अविनाशी है, वह अजन्मा है। आत्मा की अमरता के विषय में पुनर्जन्म ही एक सिद्धान्त है, जिसका समर्थन प्रायः सभी दर्शनशास्त्री करते हैं।
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'इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन एण्ड एथिक्स' के बारहवें खण्ड में अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के आदिवासियों के सम्बन्ध में अभिलेख है कि वे सभी समानरूप से पुनर्जन्म को मानते हैं। मरने से लेकर जन्मने तक की विधि-व्यवस्था में मतभेद होने पर भी यह कहा जा सकता है कि "इन महाद्वीपों के आदिवासी आत्मा की सत्ता को मानते हैं और पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं। "३
ऐसा कहा जाता है कि ईसामसीह तो तीन दिन बाद ही पुनः जीवित हो उठे थे। कुछ निष्ठावान् ईसाइयों को ईसामसीह प्रकाशरूप में दीखे, तो यहूदी लोगों ने दिव्य प्रकाशयुक्त देवदूत को देखा । *
TIT
१. अखण्ड ज्योति (मासिक पत्र) जुलाई १९७४ के लेख से साभार उद्धृत, पृ. १३
२. अखण्डज्योति, सितम्बर १९७९ के लेख से, पृ. १९
३. वही, जुलाई १९७४ के लेख पर से पृ. १४
४. (क) वही, जुलाई १९७९ के लेख से पृ. ११ (ख) वही, अप्रैल १९७९ के लेख से, पृ. १४
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