________________
तम्हा एएस कम्माण अणुभागे वियाणिया । एएसिं संवरे चैव
खवणे यजए बुहे ।
Jain Education International
- उत्तराध्ययन ३३/२५
कर्मों के अनुभागों (रस - प्रकृति आदि) को सम्यक् प्रकार से जानकर बुद्धिमान व्यक्ति इनका संवर (कर्मों का निरोध) और क्षय करने का प्रयत्न करे ।
६२०
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org