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________________ कर्म अस्तित्व का मुख्य कारण : जगत्वैचित्र्य ११७ क्या कारण है कि एक जीव तो समस्त सांसारिक सुख-दुःखों से सर्वथा रहित है, जन्म-मरणादि दुःखों के कारणों से भी सर्वथा विमुक्त है, और दूसरा अभी कषायादि विकारों से लिपटा हुआ है । सांसारिक सुख-दुःखों से ग्रस्त है, इष्टवियोग-अनिष्टसंयोग अथवा इष्टसंयोग और अनिष्टवियोग में संवेदनशील बनकर राग और द्वेष के, आसक्ति और घृणा के, या मोह और द्रोह के झूले में झूल रहा है ? एक सिद्ध परमात्मा है और दूसरा संसारी आत्मा है, इसका क्या कारण है ? "बृहदालोयणा" में श्रावक रणजीतसिंहजी ने इस अन्तर का रहस्योद्घाटन करते हुए कहा है सिद्धा जैसो जीव है, जीव सोही सिद्ध होय । कर्म-मैल का आंतरा, बूझे बिरला कोय ॥ वस्तुतः सिद्धजीव और संसारीजीव के स्वभाव (आत्मभाव), आत्म गुण, एवं स्व-रूप में निश्चयदृष्टि से सदृशता होने पर भी व्यवहार में इतना जो गहन अन्तर है, वह कर्मों के कारण है । सिद्धों की आत्मा परम विशुद्ध और समस्त कर्मों से रहित है, जबकि संसारी जीवों की आत्माएँ कर्ममल से लिप्त हैं । इन दोनों में अन्तर का कारण 'कर्म' के सिवाय और कोई नहीं हैं । आत्मा के शुद्ध स्वरूप में अशुद्धि का कारण : कर्म जैनदर्शन का यह निश्चित सिद्धान्त है कि स्वरूप की दृष्टि से सभी - आत्माएँ एक हैं - समान हैं ।' आत्माओं की यह विभिन्नता, पृथक्ता, विविधता या विरूपता उसकी स्वरूपगत या निजगुणगत नहीं है, अपनी नहीं है । आत्मा तो शुद्ध सौ टंची सोने के समान अपने आप में शुद्ध है । जैसे - सौ टंची सोने की डलियों में कोई अन्तर नहीं होता । जिस किसी सर्राफ की दिखाइए, सौ टंचे सोने का दाम और भाव वह एक ही बताएगा। अध्यात्मजगत् के सिद्धहस्त जैन कवि श्री 'द्यानतरायजी' भी यही कहते है जो निगोद में सो मुझ माही, सोई है शिव - थाना । 'द्यानत' हिचे रंच भेद नहीं, जाने सो मतिवाना ॥ Jain Education International आपा प्रभु जाना, मैं जाना । अर्थात् - जो आत्मा का स्वरूप निगोद के जीव का है, वही मेरा है, और वही स्वरूप नारकों, तिर्यञ्चों, मनुष्यों और देवों की आत्मा का है तथा ११ एगे आया । - ठाणांग सूत्र १ / १ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004242
Book TitleKarm Vignan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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