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भावप्राभृतम्
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सचेलोऽसारं निश्चेलः सारं । अलोचोऽसारं, लोचः सारं । स्नानं असारं, अस्नानं मारणं सारं । अभूमिशयनं असारं, भूमिशयनं सारं । दन्तधावनं असारं, अदन्तघर्षणं सारं । उपविश्य भोजनं असारं, उद्भभोजनं सारं । भाजने भोजनं असारं, पाणिपात्रे भोजनं सारं । क्रोधोऽसारं, क्षमा सारं । मानोऽसारं, मार्दवं सारं । मायाsसारं, आर्जवं सारं । लोभोऽसारं, सन्तोषः सारं । अतपोऽसारं, द्वादशविधं तपः सारं । मिथ्यात्वं असारं, सम्यक्त्वं सारं । अशीलं असारं, शीलं सारं । सशल्योऽसारं, निशल्यः सारं । अविनयोऽसारं विनयः सारं । अनाचारीऽसारं,
रात्रिभोजन असार है,
आलोचना नहीं करना असार है, आलोचना करना सार है । परनिन्दा करना असार है, निज निन्दा करना सार है । गुरुके आगे अपने दोषों का नहीं कहना असार है, गुरुके आगे अपने दोष कहना सार है । प्रतिक्रमण नहीं करना असार है, प्रतिक्रमण करना सार है । विराधना करना - गृहीत व्रत में दोष लगाना असार है, आराधना करना - व्रतका निर्दोष पालन करना सार है । अज्ञान अंसार है, सम्यग्ज्ञान सार है । मिथ्यादर्शन असार है, सम्यग्दर्शन सार है । मिथ्याचारित्र असार है, सम्यक्चारित्र सार है । कुतप असार है, सुतप सार है । अकृत्य-अयोग्य कार्यं असार है, कृत्य योग्य कार्यं सार है । प्राण घात असार है, अभय दान सार है । असत्य भाषण असार है, सत्य भाषण सार है, अदत्त वस्तु का ग्रहण करना असार है, योग्य दी हुई वस्तुका स्वीकार करना सार है । मैथुन असार है, ब्रह्मचर्यं सार है । परिग्रह असार है, निग्रन्थपना सार है। दिनमें एकबार प्रासुक भोजन करना सार है। आर्त्त रौद्र ध्यान असार हैं, ध और शुक्लध्यान सार हैं । कृष्ण नील और कापोत लेश्या असार है, तेज, पद्म और शुक्ल लेश्या सार है । आरम्भ असार है, अनारम्भ सार है । असंयम असार है, संयम सार है । परिग्रहवान् असार है, परिग्रह रहित सार है । वस्त्र सहित असार है, वस्त्र रहित सार है । केशलोंच नहीं करना' असार है, केशलोंच करना सार है । स्नान असार है, अस्नान अर्थात् मल धारण करना सार है । पृथिवी पर नहीं सोना असार है, पृथिवी पर सोना सार है। दांतोन करना असार है, दांतोन नहीं घिसना सार है । बैठकर आहार करना असार है, खड़े-खड़े आहार करना सार है । पात्र में भोजन करना असार है, हस्त-रूपी पात्रमें भोजन करना सार है । कोष असार है, क्षमा सार है। मान असार है, मार्दव धर्म सार है । माया असार है, आर्जव सार है। लोभ असार है, संतोष सार है । अतप असार हैं, बारह प्रकारका तप सार है। मिथ्यात्व असार है, सम्यमत्व सार है।
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