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________________ ३९६ षट्प्राभूते [ ५.६९ 'जिनस्य श्रीमद्भगवदर्हत्सर्वज्ञवीतरागस्य सम्बन्धिनी या भावना सम्यक्त्वं तया - वज्जिओ-वर्जितः । कथं, सुइरं सुचिरमतिदीर्घकालं तथा चोक्तं "कालु अणाइ अाइ जिउ भवसायरु वि अणंतु । जीवें वेण्णि न पत्ताइं जिणु सामिउसमत्तु ॥ १ ॥ इति व्याख्यानं ज्ञात्वा सम्यग्दर्शनेन दृढभावना कर्तव्येति भावार्थः । असाण भायणेण य किं ते णग्गेण पावमलिंणेण । पेसुष्णहासमच्छरमायाबहुलेण सवणेण ॥ ६९ ॥ अयशसां भाजनेन च कि ते नाग्न्येन पापमलिनेन । पैशुन्यहास्यमत्सर माया वहुलेन स्रवणेन ॥ ६९ ।। ( अयसाण भायणेण य ) अयशसामपकीर्तीनां भाजनेनामत्रेणाधारपात्रेण । ( कि ते णग्गेण पावमलिणेण ) हे जीव ! ते तव नाग्न्येन नग्नत्वेन किन किमपि, हुआ लाखों करोड़ों जन्ममें भी मोक्षके कारणभूत सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्रको नहीं प्राप्त होते हैं । जैसा कि कहा गया है कालु अणाइ - काल अनादि है, जीव अनादि है और भवसागर अनन्त है। इसमें भ्रमण करते हुए जीव ने आजतक दो वस्तुएं प्राप्त नहीं कीं, एक तो जिनदेव और दूसरी सम्यक्त्व | इस प्रकार व्याख्यान को जानकर सम्यग्दर्शन द्वारा भावनाको दृढ़ करना चाहिये ||६८ || गाथार्थ - हे जोव ! तुझे उस नग्न वेषसे क्या मिलने वाला है जो अपयशका पात्र है, पापसे मलिन है, चुगली, हास्य, मात्सर्य और मायासे परिपूर्ण है तथा स्रवण-धर्मके नाना स्रोतोंसे द्रव्यका उपार्जन करने वाला है अथवा सवन - वनवास से सहित है ॥ ६९ ॥ विशेषार्थ - जो नग्न दिगम्बर मुद्राके धारक होकर भी आगम-विरुद्ध कार्यं करते हैं उन्हें संबोधते हुए आचार्य कहते हैं कि जीव ! तूने यद्यपि नाग्न्य वेष धारण किया है तथापि तू यन्त्र मन्त्र तन्त्र, जादू, ज्योतिष, वैद्यक आदि लौकिक कार्यों में उलझ कर उस नग्न वेषको अपयशका पात्र बना रहा है सो उससे तुझे क्या मिलने वाला है ? जिस स्वर्गं या मोक्षके उद्देश्य से तूने यह पवित्र वेष धारण किया था उसकी पूर्ति तेरे इस वेष १. सावयधम्म दोहा । २. सम्यग्दर्शने दृढभावना म० । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004241
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2004
Total Pages766
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size13 MB
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