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षट्प्राभूते
[ ५.५२
जीवाः कथ्यन्ते इति भणित्वा आगमेऽच कृत्वा तृणानामुपरि गतः । शौचसमये कुण्डिकाजलं शोषयित्वा क्षुल्लक उवाच -- भगवन्! कुण्डिकायामुदकं नास्ति तथा विकृती श्चेष्टिकादिकाः क्वापि नाहभीक्षे । अतोऽत्र निर्मलसरोवरे मृत्स्नया शौचं कुरु ततस्तत्रापि तथैव भणित्वा शौचं चकार । ततस्तं मिथ्यादृष्टि द्रव्यलगिनं ज्ञात्वा भव्यसेनस्याभव्यसेनोऽयमिति नामान्तरं चकार । ततोऽन्यदिने पूर्वस्यां दिशि पद्मासनस्थं चतुर्वक्त्रमुपवीतदर्भमुंजी दण्डकमण्डलुप्रभृतिसहितं देवदानववन्द्यमानं ब्रह्मरूपं दर्शयामास । तत्र राजादयो भव्यसेनादयश्च गताः । रेवती कोऽयं ब्रह्मनाम देव इति भणित्वा लोकैः प्रेरितापि तत्र न गता । अन्यस्मिन् दक्षिणस्यां दिशि गरुडारूढं चतुर्भुजं चक्रशंखगदादिघारकं वासुदेवरूपं दर्शयामास । पश्चिमदिशि वृषभारूढं साधंचन्द्रजटाजूटगौरीगणोपेतं शंकररूपं, उत्तरस्यां दिशि समवसरणमध्ये प्रातिहार्याष्टकमहितं सुरनरविद्याधरमु निवृन्दवन्द्यमानं पर्यकस्थ तीर्थंकररूपं दर्शयति स्म । तत्र सर्वे लोका गच्छन्ति स्म । रेवतो तु लोकैः प्रेर्यमाणापि न गता । नवैव वासुदेव:, एकादशैव रुद्रा, चतुर्विंशतिरेव तीर्थंकरा जिनागमे प्रतिपादितास्ते तु सर्वेऽप्यतीताः। कोऽप्ययं मायावो वर्तते इति विचिन्त्य स्थिता । ब्रह्मा तु कोऽपि नास्ति । उक्तं च
दिखाई देते थे, यज्ञोपवीत दर्भ, मूंज, दण्ड तथा कमण्डलु आदि सहित था, और देव दानवों के द्वारा वन्दनीय था । राजा आदि तथा भव्यसेन आदि सब लोग वहाँ गये । परन्तु रेवती रानी 'यह ब्रह्मा नामका कौन देव हैं, ऐसा कहकर लोगों के द्वारा प्रेरित होने पर भी नहीं गई । दूसरे दिन क्षुल्लकने दक्षिण में नारायणका रूप दिखाया । वह नारायण गरुड़ पर बैठा था, उसके चार भुजाएं थीं और चक्र, शंख तथा, गदा आदिका धारक था । इसी प्रकार एक दिन पश्चिम दिशामें वृषभ पर बैठे, अधंचन्द्र, जटाजूट पार्वती तथा गणों सहित शङ्कर का रूप दिखाया तथा एक दिन उत्तर दिशा में समवसरण के बीच आठ प्रातिहार्यो से सहित, सुर, नर, विद्याधर और मुनियोंके समूह से वन्दनीय पद्मासन से स्थित तीर्थकर का रूप दिखाया । वहाँ भी सब लोग गये परन्तु रेवती रानी लोगोंके द्वारा प्रेरित होनेपर भी नहीं गई । वह यह सोच कर अपने घर स्थित रही कि नारायण नौ ही रुद्र ग्यारह ही होते हैं और तीर्थंकर चौबीस ही जिनागम में गये हैं तथा वे सब हो चुके हैं यह कोई मायावी है । और ब्रह्मा नामक कोई देवता तो है
ही नहीं क्योंकि
कहा है
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होते हैं, बतलाये
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