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भावप्राभृतम्
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सुव्रतां दीक्षां जग्राह शोकेनेति । विन्ध्यपर्वते स्थानयोगं गृहीत्वा स्थिता । वनवासिषु देवेतेति पूजयित्वा गतेषु रात्रौ व्याघ्रेण भक्षिता स्वर्गलोकं जगाम । अथापरस्मिन् दिने व्यार्धैर्हस्ताङ्गुलित्रयं दृष्टं । क्षीरकुंकुमादिभिः पूजित देशवासि - भिर्विमूढात्मभिरसावार्या विन्ध्यवासिनी देवतेति प्रमाणिता । अथ तस्मिन् पुरे महोत्पाताः प्रसृताः । तान् दृष्ट्वा कंसेन वरुणः पृष्टः किमेषां फलमिति स आह-तव शत्रुः समुत्पन्नो महान इति । नैमित्तिकवचनं श्रुत्वा राजा चिन्तावस्थो बभूव तदा पूर्वोक्ता देवताः समागताः किं कर्तव्यमिति पप्रच्छुः । स आह - मम शत्रु पापिष्ठं क्वचिदुत्पन्नमन्विष्य मारयत यूयं तत्श्रुत्वा सप्तापि गतास्तथास्त्विति । तत्र पूतना विभंगात् ज्ञात्वा वासुदेवं मारयितुं यशोदात्तन्मातृरूपं गृहीत्वा विषस्तनपानोपायेन दुष्टा मारणं चिकीकिता । तद्वालपालनोद्युक्ता काचिदन्या देवता स्तनदा - नावसरे बलवत्पीडां चकार । तत्पीडां सोढुमसमर्था मृताहमित्याक्रोशं कृत्वा पलायिता ( १ ) । द्वितीया देवता शकटाकारं गृहीत्वा शिशुपरि धावन्ती तेन ताडिता नष्टा (२) । अपरेद्युर्नन्दगोपी कट्यामुद्खलं बदृद्ध्वा जलमानेतु ं गता तथापि शिशुरन्वगमत् । तदा तं बालं मारयितुं द्वे देवते अर्जुनतरू भूत्वा तदुपरि पतन्त्यौ मूलादुन्मूलयामास ( ३-४ ) । विष्णोश्चंक्रमण'वेलायामेका तालत भूस्वा तन्मस्तके फलानि दृषदोऽपि निष्ठुराणि पातयितुमुद्यता (५) । अपरा
लिये उसने बालक की माता यशोदा का रूप ग्रहण किया। वह दुष्टा विष मिश्रित स्तन पिलाने के उपाय से बालक को मारने की इच्छा करती हुई आई । उस बालक की रक्षा करने में तत्पर किसी दूसरी देवी ने स्तन देने के समय उसके स्तन में बहुत जोर की पीड़ा पहुँचाई । पूतना देवो उस पोड़ा को सहन करने के लिये असमर्थ हो 'मैं मरी' इस प्रकार चिल्ला कर भाग गई ( १ ) दूसरी देवो शकट -- गाड़ी का आकार रख • बालक के ऊपर दौड़ती आ रहो थी कि बालक ने उसे पैरों की ठोकर से • नष्ट कर दिया ( २ ) दूसरे दिन नन्दगोप की स्त्री अर्थात् यशोदा बालक की कमर में एक उखला बाँधकर पानी भरने के लिये गई थीं फिर भी वह उसक पोछे पाछे चला गया। उस समय दो देवियाँ अर्जुन वृक्ष का रूप रख कर उस बालकके ऊपर गिरना चाहतो थीं कि बालक ने उन्हे जड़ से उखाड़ दिया ( ३-४ ) । जव विष्णु घूम रहे थे तब एक देवी ताड़का वृक्ष बनकर उनके मस्तक पर कठोर फल और पत्थर गिराने को हुई ( ५ ) तथा दूसरी देवो गधो बन कर उन्हें काटने के
२. संक्रमण क० ।
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