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________________ २९ - गणमें हुए हैं । इनके गुरुका नाम विद्यानन्दि था । विद्यानन्द देवेन्द्र कीर्तिके और देवेन्द्रकीति पद्मनन्दिके शिष्य और उत्तराधिकारी थे । विद्यानन्दिके बाद मल्लिभूषण और उनके बाद लक्ष्मीचन्द्र भट्टारक हुए । मल्लिभूषणको उन्होंने अपना गुरुभाई लिखा है। श्रुतसागरने लक्ष्मीचन्द्रको गुर्जर देशके सिंहासनका भट्टारक लिखा है | श्रुतसागरके अनेक शिष्य थे ।' श्रुतसागर ने अपनेको देशव्रती, ब्रह्मचारी या वर्णी लिखा है तथा स्वयंको अनेक उपाधि-विशेषणोंसे अलंकृत बतलाया है । यथा - नवनवतिमहावादिविजेता, तर्क- व्याकरण - छन्दअलंकार-सिद्धान्त-साहित्यादि शास्त्र निपुण, प्राकृतव्याकरणादि अनेक शास्त्रचञ्चु, उभयभाषा कविचक्रवर्ती, तार्किकशिरोमणि, परमागमप्रवीण, कलिकालसर्वज्ञ आदि । श्रुतसागरसूरि वस्तुतः अपने 'श्रुतसागर' नामको सार्थक करने वाले विद्वान्. थे। इनकी टीकाओं में उद्धृत विभिन्न शास्त्रोंके उद्धरणोंको देखने से ही ज्ञात हो जाता है ये विविध भाषाओं और शास्त्रोंके ज्ञाता थे । इनका सम्पूर्ण जीवन जैन साहित्यके लिए समर्पित था । इनकी अबतक निम्नलिखित ३८ कृतियाँ उपलब्ध हैं । 1 १. यशस्तिलक चन्द्रिका, २. तत्त्वार्थवृत्ति, ३ तत्वत्रय प्रकाशिका, ४. जिन सहस्रनाम टीका, ५. महाभिषेक टीका, ६. षट्पाहुडटीका, ७. सिद्धभक्तिटीका, ८. सिद्धचक्राष्टकटीका, ९. ज्येष्ठजिनवरकथा, १०. रविब्रतकथा, ११. सप्तपरमस्थानकथा, १२. मुकुटसप्तमीकथा, १३. अक्षयनिधिकथा, १४. षोडषकारण कथा, १५. मेघमालाव्रत कथा, १६. चन्दनषष्ठीकथा, १७. लब्धिविधानher, १८. पुरन्दर विधानकथा, १९. दशलाक्षणी व्रतकथा, २०. पुष्पाञ्जलिव्रतकथा २१. आकाशपंचमीव्रतकथा, २२. मुक्तावलीव्रतकथा, २३. निदु : खसप्तमीव्रतकथा, २४. सुगन्धदशमीकथा, २५. श्रावणद्वादशीकथा, २६. रत्नत्रयव्रतकथा, २७. अनन्तव्रतकथा, २८. अशोकरोहिणीकथा, २९. तपोलक्षण पंक्ति कथा, ३०. मेरुपंक्तिकथा, ३१. विमानपंक्तिकथा, ३२. पल्लिविधानकथा, ३३. श्रीपालचरित्, ३४. यशोषंर चरित्, ३५ औदार्य चिन्तामणि, ३६. श्रुतस्कन्धपूजा, ३७. पार्श्वनाथस्तवन, ३८. शान्तिनाथस्तवन । इनमें ८ टीका ग्रन्थ, चौबीस कथाग्रन्थ, शेष छह व्याकरण और काव्य ग्रन्थ है । 3 Jain Education International १. जैन साहित्य और इतिहास, पृ० ३७१ ( पं० नाथूराम प्रेमी ) २. सायंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा : भाग ३. पृ० ३९१. ३. वही पू० ३९४० For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004241
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2004
Total Pages766
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size13 MB
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